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दिलचस्पी लेनेवाले से बातचीत

ईश्‍वर हम पर दुख-तकलीफें क्यों आने देता है?

ईश्‍वर हम पर दुख-तकलीफें क्यों आने देता है?

आम तौर पर यहोवा के साक्षी प्रचार में एक व्यक्‍ति से शायद इस तरह बातचीत करें। कल्पना कीजिए कि मोनिका नाम की एक साक्षी एक औरत से मिलने आयी है, जिसका नाम समीरा है।

जब हम पर तकलीफें आती हैं, तो ईश्‍वर को कैसा लगता है?

मोनिका: हैलो समीरा! कैसी हो, कैसा चल रहा है सब?

समीरा: मैं ठीक हूँ, आप बताओ?

मोनिका: मैं भी ठीक हूँ। मेरे पास टाइम था तो मैंने सोचा आपसे मिलती चलूँ। पिछली बार जब हम मिले थे, तो इस बारे में बात कर रहे थे कि ईश्‍वर को हमें तकलीफ में देखकर कैसा लगता है। तब आपने बताया था कि आपकी मम्मी को चोट लग गयी थी। वे फिसलकर गिर गयी थीं, है ना? अभी वे कैसी हैं?

समीरा: पूरी तरह तो ठीक नहीं हुई हैं। कभी-कभी उनका दर्द बहुत बढ़ जाता है। पर आज वे थोड़ा ठीक हैं।

मोनिका: यह सुनकर अच्छा लगा कि आज वे ठीक हैं। पर उन्हें इस हालत में देखना आपके लिए आसान नहीं होगा ना?

समीरा: हाँ, बुरा तो लगता है। कभी-कभी मैं यह भी सोचती हूँ कि वे पूरी तरह ठीक होंगी भी या नहीं।

मोनिका: हाँ, ऐसा लग सकता है। क्यों ना हम इस बारे में बात करें कि अगर ईश्‍वर इतना ताकतवर है, तो वह इन दुख-तकलीफों को खत्म क्यों नहीं कर देता?

समीरा: सवाल तो अच्छा है।

मोनिका: इसका जवाब भी हम बाइबल से देखेंगे। लेकिन पहले इस बारे में बात करें कि हमने पिछली बार क्या देखा था?

समीरा: ठीक है।

मोनिका: हमने बाइबल से पुराने ज़माने के एक आदमी के बारे में पढ़ा था। वह ईश्‍वर को बहुत मानता था, लेकिन उसके मन में भी सवाल आया कि ईश्‍वर ने दुख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं। पर ईश्‍वर ने उसको इस बात के लिए डाँटा नहीं और उसे यह भी नहीं बोला कि उसमें विश्‍वास की कमी है।

समीरा: हाँ, यह बात मेरे लिए नयी थी।

मोनिका: हमने यह भी देखा था कि जब हम तकलीफ में होते हैं, तो ईश्‍वर को भी बुरा लगता है। जैसे बाइबल बताती है, जब उसके लोग तकलीफ में थे तो “उसे भी तकलीफ हुई।” a इस बात से कितनी तसल्ली मिलती है, है ना?

समीरा: हाँ, सच में।

मोनिका: और फिर हमने इस बारे में बात की थी कि ईश्‍वर के पास बहुत ताकत है और वह जब चाहे दुख-तकलीफों को मिटा सकता है।

समीरा: यही बात तो मुझे समझ में नहीं आती। अगर ईश्‍वर के पास इतनी ताकत है तो वह कुछ करता क्यों नहीं है?

शैतान ने ईश्‍वर पर इलज़ाम लगाया

मोनिका: इस सवाल का जवाब हमें बाइबल की पहली किताब उत्पत्ति में मिल सकता है। वैसे, क्या आपने आदम और हव्वा के बारे में पहले कभी पढ़ा है?

समीरा: हाँ, सुना तो है। वही ना जिन्हें ईश्‍वर ने एक पेड़ का फल खाने से मना किया था, पर फिर भी उन्होंने खा लिया।

मोनिका: ठीक बताया आपने। आदम और हव्वा ने ईश्‍वर की आज्ञा नहीं मानी। लेकिन क्या आपको याद है कि इस घटना से पहले क्या हुआ था? हम बाइबल से इसके बारे में पढ़कर देखते हैं। हम उत्पत्ति 3:1-5 देख सकते हैं। इन आयतों से हमें अपने सवाल का जवाब भी मिल जाएगा कि ईश्‍वर ने दुख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं। क्या आप ये वचन पढ़ सकती हैं?

समीरा: मैं पढ़ती हूँ। “यहोवा परमेश्‍वर ने जितने भी जंगली जानवर बनाए थे, उन सबमें साँप सबसे सतर्क रहनेवाला जीव था। साँप ने औरत से कहा, ‘क्या यह सच है कि परमेश्‍वर ने तुमसे कहा है कि तुम इस बाग के किसी भी पेड़ का फल मत खाना?’ औरत ने साँप से कहा, ‘हम बाग के सब पेड़ों के फल खा सकते हैं। मगर जो पेड़ बाग के बीच में है उसके फल के बारे में परमेश्‍वर ने हमसे कहा है, “तुम उसका फल मत खाना, उसे छूना तक नहीं, वरना मर जाओगे।”’ तब साँप ने औरत से कहा, ‘तुम हरगिज़ नहीं मरोगे। परमेश्‍वर जानता है कि जिस दिन तुम उस पेड़ का फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, तुम परमेश्‍वर के जैसे हो जाओगे और खुद जान लोगे कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।’”

मोनिका: थैंक्यू। तो यहाँ एक साँप ने औरत से यानी हव्वा से बात की। बाइबल से पता चलता है कि असल में साँप नहीं बल्कि शैतान बात कर रहा था। b शैतान ने हव्वा से पूछा कि ईश्‍वर ने उन्हें क्या आज्ञा दी है। हव्वा बताती है कि उन्हें एक पेड़ का फल नहीं खाना था। आपने ध्यान दिया कि अगर वे फल खाते तो क्या होता?

समीरा: वे मर जाते।

मोनिका: बिलकुल सही। अब आगे देखिए कि शैतान क्या कहता है। वह कहता है, “तुम हरगिज़ नहीं मरोगे।” लेकिन ईश्‍वर ने तो कहा था कि वे मर जाएँगे। ऐसा कहकर शैतान ने ईश्‍वर पर एक बड़ा इलज़ाम लगाया कि वह झूठा है।

समीरा: यह बात तो मैंने पहली कभी नहीं सुनी।

मोनिका: तो यह कैसे पता चलता कि कौन सही है और कौन गलत? इसके लिए वक्‍त लगता, है ना?

समीरा: हाँ, शायद।

मोनिका: अच्छा इसे ऐसे समझ सकते हैं, मान लीजिए मैं आपसे कहती हूँ कि मैं आपसे ज़्यादा ताकतवर हूँ। तो आप कैसे पता करेंगी कि हम दोनों में से कौन ज़्यादा ताकतवर है?

समीरा: पता नहीं।

मोनिका: शायद हम कोई भारी चीज़ लें और यह देखें कि हम दोनों में से कौन उसे उठा पाता है। तो इससे तुरंत साबित हो जाएगा कि कौन ज़्यादा ताकतवर है।

समीरा: हाँ, ऐसा कर सकते हैं।

मोनिका: चलिए यह तो बात हुई कि कौन ज़्यादा ताकतवर है। अब अगर मैं कहूँ कि मैं ईमानदार हूँ और आप नहीं, तो इसे साबित करना इतना आसान नहीं होगा, है ना?

समीरा: हाँ, शायद इतना आसान नहीं होगा।

मोनिका: इसके लिए वक्‍त चाहिए होगा ताकि लोग हमें देख पाएँ और यह पता कर सकें कि हम दोनों में से कौन ईमानदार है।

समीरा: मुझे भी यही लगता है।

मोनिका: अब वापस उत्पत्ति में देखते हैं। क्या शैतान ने यह इलज़ाम लगाया कि वह ईश्‍वर से ज़्यादा ताकतवर है?

समीरा: नहीं।

मोनिका: अगर ऐसा होता तो ईश्‍वर उसे तुरंत गलत साबित कर देता। लेकिन यहाँ शैतान ताकत की नहीं, ईमानदारी की बात कर रहा था। वह मानो कह रहा था, ‘ईश्‍वर झूठ बोल रहा है और मैं सच बोल रहा हूँ।’

समीरा: अच्छा, अब समझ में आया।

मोनिका: तो यह इलज़ाम सही है या गलत इसे साबित करने के लिए वक्‍त लगता। और ईश्‍वर को यह बात अच्छे-से पता थी।

एक अहम मसला

समीरा: तो फिर जब हव्वा की मौत हो गयी तो इससे साबित हो गया ना कि ईश्‍वर सच बोल रहा था?

मोनिका: हाँ, कुछ हद तक। पर शैतान ने ईश्‍वर पर एक और इलज़ाम लगाया था। देखिए आयत 5 में शैतान ने हव्वा से क्या कहा।

समीरा: उसने कहा कि अगर वह पेड़ का फल खाएगी तो उसकी आँखें खुल जाएँगी।

मोनिका: हाँ और वह ‘परमेश्‍वर के जैसी हो जाएगी और खुद जान लेगी कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।’ तो शैतान का इलज़ाम था कि ईश्‍वर इंसानों को अच्छी चीज़ें नहीं देना चाहता।

समीरा: अच्छा।

मोनिका: इससे एक बड़ा मसला खड़ा हो गया।

समीरा: मतलब?

मोनिका: शैतान ने जब यह बात कही तो दरअसल वह यह कहना चाह रहा था कि इंसानों को ईश्‍वर की कोई ज़रूरत नहीं, वे उसके बिना भी खुश रह सकते हैं। इस बार भी ईश्‍वर ने शैतान को अपनी बात साबित करने के लिए समय दिया। उसने शैतान को कुछ वक्‍त के लिए दुनिया चलाने का मौका दिया। इसीलिए आज दुनिया में इतनी दुख-तकलीफें हैं क्योंकि शैतान इसे चला रहा है। c पर हमें ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। बाइबल से हमें परमेश्‍वर यहोवा के बारे में दो अच्छी बातें पता चलती हैं।

समीरा: कौन-सी दो बातें?

मोनिका: पहली, जब हम पर तकलीफें आती हैं तो हम अकेले नहीं होते, यहोवा हमारे साथ होता है। यही बात राजा दाविद ने भी महसूस की। जब उसकी ज़िंदगी में बहुत सारी मुश्‍किलें आयीं तो उसने प्रार्थना में यहोवा से क्या कहा, चलिए पढ़कर देखते हैं। क्या आप भजन 31:7 पढ़ सकती हैं?

समीरा: यहाँ लिखा है, “मैं तेरे अटल प्यार के कारण बहुत मगन होऊँगा, क्योंकि तूने मेरा दुख देखा है, तू मेरे मन की पीड़ा जानता है।”

मोनिका: तो दाविद को यह जानकर तसल्ली मिली कि यहोवा सबकुछ देख रहा है और उसकी तकलीफ समझता है। जब आज हम पर भी तकलीफें आती हैं तो लोग शायद पूरी तरह ना समझ पाएँ कि हम पर क्या बीत रही है। पर यहोवा ज़रूर जानता है कि हम किस तकलीफ से गुज़र रहे हैं। यह जानकर आपको कैसा लगता है?

समीरा: काफी अच्छा लगता है।

मोनिका: दूसरी बात यह है कि ईश्‍वर दुख-तकलीफों को हमेशा के लिए नहीं रहने देगा। वह बहुत जल्द शैतान को खत्म कर देगा और उसकी वजह से जो भी नुकसान हुए हैं उन्हें भी ठीक कर देगा। आज आप और आपकी मम्मी जो तकलीफें सह रहे हैं, ईश्‍वर उन्हें भी दूर कर देगा। तब ज़िंदगी कितनी बढ़िया होगी ना! पर हम कैसे यकीन कर सकते हैं कि ईश्‍वर दुख-तकलीफों को ज़रूर खत्म कर देगा? क्या हम अगली बार इस बारे में बात कर सकते हैं? d

समीरा: हाँ, ज़रूर।▪

क्या आपके मन में कोई सवाल है जिसका जवाब आप बाइबल से जानना चाहते हैं? या क्या आप जानना चाहते हैं कि यहोवा के साक्षी क्या मानते हैं? अगर हाँ, तो आप किसी यहोवा के साक्षी से इस बारे में पूछ सकते हैं। उन्हें आपसे बात करने में खुशी होगी।

a यशायाह 63:9 देखिए।

d इस बारे में और जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है?  किताब का अध्याय 9 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है। आप इसे हमारी वेबसाइट www.dan124.com पर भी देख सकते हैं।