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मुश्‍किलों से भरी दुनिया में

2 | पैसों के बारे में सोच-समझकर फैसले लें

2 | पैसों के बारे में सोच-समझकर फैसले लें

यह क्यों ज़रूरी है?

बहुत-से लोगों के लिए पहले ही गुज़ारा करना मुश्‍किल है। ऊपर से जब दुनिया के हालात बिगड़ते हैं, तो उनके लिए गुज़र-बसर करना और भी मुश्‍किल हो जाता है। ऐसा क्यों?

  • महँगाई बढ़ जाती है, जैसे खाने-पीने की चीज़ों का दाम बढ़ जाता है और घर का किराया भी।

  • बेरोज़गारी बढ़ जाती है या लोगों को मजबूरन कम पैसों के लिए काम करना पड़ता है।

  • बाढ़-भूकंप में घर तबाह हो जाते हैं, काम-धंधे ठप्प पड़ जाते हैं और कई लोग सड़क पर आ जाते हैं।

किन बातों का ध्यान रखें?

  • अगर आप पैसों का सही इस्तेमाल करें और सोच-समझकर खर्च करें, तो मुसीबत आने पर आप कम में भी गुज़ारा चला पाएँगे।

  • पर पैसा ही सबकुछ नहीं है। आज आपके पास जो संपत्ति और पैसे हैं, हो सकता है वे कल ना रहें।

  • पैसों से खुशियाँ, परिवार में प्यार और दूसरी ज़रूरी चीज़ें नहीं खरीदी जा सकतीं।

अभी से क्या करें?

पवित्र शास्त्र में लिखा है, “अगर हमारे पास खाने और पहनने को है, तो हमें उसी में संतोष करना चाहिए।”​—1 तीमुथियुस 6:8.

संतोष करने का मतलब है, ज़रूरत की चीज़ों में खुश रहना और ज़्यादा की ख्वाहिश ना करना। ऐसा करना तब और भी ज़रूरी है जब हमारे पास कम पैसे हों।

जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाएँ। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे और अपनी हैसियत से बढ़कर खर्च करेंगे, तो आपके लिए मुश्‍किलें बढ़ सकती हैं।