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आप दोनों की जोड़ी विमान चालक और सहचालक जैसी हो

पति-पत्नियों के लिए

2: मिलकर काम करने का जज़्बा

2: मिलकर काम करने का जज़्बा

इसका क्या मतलब है?

जो पति-पत्नी एकजुट होकर काम करते हैं, वे समस्या आने पर उसे अकेले नहीं, बल्कि साथ मिलकर सुलझाते हैं। उनकी जोड़ी विमान चालक और सहचालक की तरह होती है।

पवित्र शास्त्र की सलाह: “वे अब दो नहीं रहे बल्कि एक तन हैं।”​—मत्ती 19:6.

“शादीशुदा ज़िंदगी को खुशहाल बनाना सिर्फ एक साथी पर निर्भर नहीं करता। यह दो पहियोंवाली गाड़ी है।”​—क्रिस्टोफर।

यह क्यों मायने रखता है?

समस्या आने पर अगर पति-पत्नी साथ मिलकर न सुलझाएँ, तो वे एक-दूसरे पर दोष लगाने लग सकते हैं। ऐसे में छोटी-छोटी बातें भी पहाड़ का रूप ले लेंगी।

“एकजुट होकर काम करना पति-पत्नी के लिए बेहद ज़रूरी है। अगर मैं और मेरे पति एकजुट होकर काम न करें, तो हम पति-पत्नी नहीं, बल्कि एक ही छत के नीचे रहनेवाले अजनबी होंगे।”​—ऐलेक्ज़ान्ड्रा।

आप क्या कर सकते हैं?

खुद से पूछिए

  • क्या मैं यह मानता हूँ कि मेरी कमाई पर बस मेरा हक है?

  • क्या सुकून पाने के लिए मुझे अपने साथी से दूर जाना पड़ता है?

  • क्या मुझे अपने ससुरालवालों से मिलना-जुलना पसंद नहीं, जबकि मेरे साथी को पसंद है?

अपने साथी से इस बारे में बात कीजिए

  • किन मामलों में हम एकजुट होकर काम करते हैं?

  • किन मामलों में हमें सुधार करना है?

  • एकजुट होकर काम करने के लिए हमें क्या करना होगा?

इसे आज़माइए

  • मान लीजिए कि आप और आपका साथी टेनिस मैच खेल रहे हैं। अगर आप दोनों अलग-अलग टीम में हैं, तो आप एक-दूसरे को हराने की कोशिश करेंगे। वहीं अगर आप अपने साथी की टीम में आ जाएँ, तो आप दोनों मिलकर जीतने की कोशिश करेंगे।

  • इसलिए कोई समस्या आने पर यह मत सोचिए कि “मैं कैसे जीत सकता हूँ?” इसके बजाय यह सोचिए कि “हम दोनों कैसे जीत सकते हैं?”

“यह मत सोचिए कि कौन सही है और कौन गलत। जो बात सबसे ज़्यादा मायने रखती है वह यह है कि आप दोनों के बीच शांति और एकता हो।”​—ईथन।

पवित्र शास्त्र की सलाह: “हर एक सिर्फ अपने भले की फिक्र में न रहे, बल्कि दूसरे के भले की भी फिक्र करे।”​—फिलिप्पियों 2:3, 4.