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उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया—इक्वेडोर में

उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया—इक्वेडोर में

उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया—इक्वेडोर में

एक जवान भाई जो इटली का रहनेवाला है, काफी तनाव में है। उसने अभी-अभी हाई स्कूल की पढ़ाई खत्म की है। वह अपनी क्लास में सबसे ज़्यादा नंबरों से पास हुआ है। अब उसके रिश्‍तेदार और टीचर उस पर यह दबाव डाल रहे हैं कि वह ऊँची शिक्षा हासिल करे। लेकिन कुछ साल पहले, इस जवान भाई ब्रूनो ने जब अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की, तो उसने उससे वादा किया था कि वह उसकी मरज़ी को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देगा। आखिर ब्रूनो ने क्या फैसला किया? वह कहता है: “मैंने यहोवा से प्रार्थना की और उससे कहा, ‘मैंने समर्पण करते वक्‍त आपसे जो वादा किया था उसे मैं ज़रूर निभाऊँगा और आपकी सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दूँगा।’ मैंने यहोवा से यह भी कहा कि मैं एक आम ज़िंदगी नहीं जीना चाहता, बल्कि आपकी सेवा से जुड़े तरह-तरह के कामों में मशगूल रहना चाहता हूँ।”

कुछ साल बाद ब्रूनो को दक्षिण अमरीका के इक्वेडोर देश में सेवा करने का मौका मिला। वह बताता है, “यहोवा ने मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दिया। उसने मेरी उम्मीदों से कहीं बढ़कर मुझे आशीष दी।” इक्वेडोर पहुँचने पर ब्रूनो हैरान रह गया। उसने देखा कि वहाँ और भी बहुत-से नौजवान दूसरी जगहों से आए हुए हैं और वे भी उसकी तरह यहोवा की सेवा में ज़्यादा-से-ज़्यादा करना चाहते हैं।

ऐसे जवान जिन्होंनेयहोवा को परखकर देखा

दुनिया-भर के हज़ारों नौजवानों की तरह ब्रूनो ने भी यहोवा के इस न्यौते को कबूल किया, “मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर . . . आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।” (मला. 3:10) इन नौजवानों के दिल में परमेश्‍वर के लिए जो प्यार है उसकी वजह से उन्होंने फैसला किया कि वे यहोवा को परखकर देखेंगे। वे खुशी-खुशी अपना समय, ताकत और साधन ऐसे देश या ऐसी जगह में राज के कामों को आगे बढ़ाने में लगाएँगे, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है।

ये नौजवान जब इक्वेडोर में सेवा करने आए तो इन्होंने पाया कि “कटाई के लिए फसल बहुत है, मगर मज़दूर थोड़े हैं।” (मत्ती 9:37) मिसाल के लिए, जर्मनी की रहनेवाली यॉकलीन ने इक्वेडोर के शाखा दफ्तर को एक जोश भरा खत लिखा, “मुझे इक्वेडोर में सेवा करते हुए अभी कोई दो साल ही हुए हैं और इतने समय में ही मुझे 13 बाइबल अध्ययन चलाने का मौका मिला है। इनमें से 4 बाइबल विद्यार्थी लगातार सभाओं में भी आते हैं। ये वाकई मेरे लिए बहुत बड़ी आशीष है!” कनाडा की रहनेवाली शैनटल बताती है: “सन्‌ 2008 में, मैं इक्वेडोर के समुद्री तट के पास एक ऐसे इलाके में गयी जहाँ सिर्फ एक मंडली थी। आज वहाँ तीन मंडलियाँ हैं और 30 से भी ज़्यादा पायनियर हैं। सच कहूँ तो बहुत-से नए-नए लोगों को तरक्की करते देख मुझे जो खुशी मिलती है, वह किसी और बात से नहीं मिल सकती।” वह आगे कहती है: “मैं अभी हाल ही में एक ऐसे शहर में सेवा करने गयी जो 9,000 फुट (2,743 मीटर) की ऊँचाई पर एंडीज़ नाम की पहाड़ियों पर बसा हुआ है।” इस शहर की आबादी 75,000 से ऊपर है मगर यहाँ सिर्फ एक मंडली है। यहाँ प्रचार में इतने अच्छे नतीजे मिलते हैं कि क्या बताऊँ! और मुझे प्रचार करने में बहुत मज़ा आता है!”

चुनौतियाँ भी हैं इस पड़ाव में

बेशक किसी दूसरे देश या जगह जाकर सेवा करने पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ नौजवानों के सामने तो जाने से पहले ही कई रुकावटें आयी हैं। अमरीका की रहनेवाली कैलॉ कहती है, “मेरे जाने के बारे में सुनकर नेक इरादा रखनेवाले कुछ भाइयों ने मुझसे ऐसी बातें कहीं, जिनसे मेरा हौसला कमज़ोर पड़ने लगा था। उन्होंने यह समझने की कोशिश नहीं की कि मैं पायनियर सेवा के लिए क्यों दूसरे देश जाना चाहती हूँ। उनकी बातें सुनकर कभी-कभी मैं सोचती थी, ‘क्या मैं वाकई सही फैसला ले रही हूँ?’” इसके बावजूद, कैलॉ ने दूसरे देश जाने का फैसला किया। आखिर किस बात से उसे मदद मिली? वह कहती है: “मैंने यहोवा से कई बार प्रार्थना की और प्रौढ़ भाई-बहनों से इस बारे में काफी बातचीत की। इससे मुझे यह समझने में मदद मिली कि यहोवा ऐसे लोगों को आशीष देता है जो खुशी-खुशी उसकी सेवा करना चाहते हैं।”

कई लोगों के लिए एक नयी भाषा सीखना, एक और चुनौती हो सकती है। आयरलैंड की रहनेवाली शेबॉन पिछली बातें याद करके कहती है: “नयी भाषा में दूसरों को अपने विचार बताना मेरे लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं था। इसलिए मैंने सब्र से काम लेना सीखा। भाषा सीखने के लिए मैंने बहुत मेहनत की और बोलते वक्‍त जब मुझसे कोई गलती हो जाती थी, तो मैं खुद पर हँस लेती थी।” एस्टोनिया की रहनेवाली ऑनॉ का कहना है, “सड़ी गरमी झेलना, धूल-मिट्टी वाले इलाके में रहना और बिना गरम पानी के गुज़र करना मेरे लिए इतना मुश्‍किल नहीं रहा जितना कि स्पैनिश भाषा सीखना। कई बार मुझे ऐसा लगता था कि मैं अब और नहीं कर पाऊँगी। इसलिए अपनी गलतियों पर ध्यान देने के बजाय, मैंने उन बातों पर ध्यान देने की कोशिश की जिनमें मैं तरक्की कर रही थी।”

घर की याद सताना भी एक चुनौती होती है, जिसका सामना कइयों को करना पड़ता है। इसी बात को कबूल करते हुए अमरीका का रहनेवाला जोनाथन कहता है, “नयी जगह पहुँचने के बाद मुझे अपने घरवालों और दोस्तों की याद आने लगी, जिससे मैं बहुत उदास हो गया। लेकिन फिर मैं निजी बाइबल अध्ययन और प्रचार सेवा पर ध्यान देने लगा और इस वजह से मुझे उनकी कमी नहीं खलती थी। कुछ ही समय में मुझे प्रचार में बढ़िया-बढ़िया अनुभव मिलने लगे और वहाँ की मंडली में मैंने नए दोस्त बनाए, जिससे मेरी खोयी हुई खुशी फिर लौट आयी।”

एक और चुनौती है, नयी जगह में रहन-सहन से जुड़े हालात। मुमकिन है कि नयी जगह में आपको वैसी सुविधाएँ नहीं मिलेंगी जिन सुख-सुविधाओं के आप आदी थे। कनाडा का रहनेवाला बॉ कहता है, “आप जिस देश में पले-बढ़े हैं वहाँ बिजली और पानी जैसी आपकी बुनियादी ज़रूरतें जिस तरह बराबर पूरी होती हैं, उसकी शायद आप कदर न करें। लेकिन नयी जगह पर जब ये ज़रूरतें ठीक से पूरी नहीं होतीं तो आपको काफी दिक्कत होती है।” बहुत-से गरीब देशों में ज़्यादातर लोग तंगी में जीते हैं, यातायात के साधन अच्छे नहीं होते और लोग अनपढ़ होते हैं। ऐसे हालात का सामना करने के लिए ऑस्ट्रिया की रहनेवाली ईनीस वहाँ के लोगों की खूबियों पर ध्यान देती है। वह कहती है, “ये लोग मेहमान-नवाज़ी दिखाने में आगे रहते हैं, बड़े प्यार से पेश आते हैं, मदद के लिए तैयार रहते हैं और बड़े नम्र स्वभाव के हैं। इनमें से ज़्यादातर लोगों को परमेश्‍वर के बारे में जानने में बहुत दिलचस्पी है।”

‘अपरम्पार आशीषें’

हालाँकि इक्वेडोर में रहनेवाले इन जवानों ने कई त्याग किए हैं मगर उन्होंने पाया है कि आज यहोवा उन्हें जो आशीषें दे रहा है वह उनकी उम्मीदों से “कहीं बढ़कर” हैं। (इफि. 3:20) वे यह महसूस करते हैं कि वाकई यहोवा ने उन पर ‘अपरम्पार आशीषों की वर्षा’ की है। (मला. 3:10) आइए उन्हीं की ज़ुबानी सुनते हैं कि वे कैसा महसूस करते हैं:

ब्रूनो: “मैं अमेज़न इलाके के इक्वेडोर शहर में आकर सेवा करने लगा। फिर मैंने वहाँ के शाखा दफ्तर के काम में भी हाथ बँटाया। और आज मैं वहाँ के बेथेल में सेवा कर रहा हूँ। जब मैं इटली में रहता था, तब मैंने यहोवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देने का वादा किया था। साथ ही, मेरी ख्वाहिश थी कि मैं उसकी सेवा से जुड़े तरह-तरह के कामों में खुद को लगा दूँ। और आज यहोवा सचमुच मेरी यह ख्वाहिश पूरी कर रहा है!”

बॉ: “इक्वेडोर में मैं अपना ज़्यादा-से-ज़्यादा समय परमेश्‍वर की सेवा से जुड़े कामों में लगा पाता हूँ। इसलिए आज मैं खुद को यहोवा के बहुत करीब महसूस करता हूँ। साथ ही, मुझे एक और आशीष मिली है, मुझे बढ़िया-बढ़िया जगह घूमने का मौका मिला है जो मेरी हमेशा से इच्छा थी।”

ऑनॉ: “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरे लिए, एक कुँवारी बहन के लिए मिशनरी की तरह सेवा करना मुमकिन हो पाएगा। लेकिन आज मुझे यकीन हो गया है कि ऐसा मुमकिन है। यहोवा का लाख-लाख शुक्र है कि उसने मुझे इतनी शानदार आशीष दी। मुझे चेला बनाने, राज-घर निर्माण काम में हाथ बँटाने और नए-नए दोस्त पाने से जो खुशी मिल रही है उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती।”

एल्का: “जब मैं ऑस्ट्रिया में, अपने घर में थी तो मैं यहोवा से प्रार्थना करती थी कि मुझे कम-से-कम एक बाइबल अध्ययन चलाने का मौका मिल जाए। मगर आज देखो, मेरे पास 15 बाइबल अध्ययन हैं! जब मैं देखती हूँ कि बाइबल विद्यार्थी कैसे तरक्की कर रहे हैं, उनके चेहरे कैसे खुशी से दमक रहे हैं, तो मेरे दिल को बहुत ही खुशी और संतोष मिलता है।”

जोएल: “नयी जगह आकर यहोवा की सेवा करना सचमुच एक बेहतरीन अनुभव है। यहाँ रहकर आप यहोवा पर और भी ज़्यादा भरोसा रखना सीखते हैं। और जब आप देखते हैं कि यहोवा आपकी मेहनत पर आशीष दे रहा है, तो आपको बहुत खुशी होती है। अमरीका से यहाँ आने पर मैंने जिस समूह के साथ सेवा करना शुरू किया उसमें सिर्फ 6 प्रचारक थे, मगर एक साल के अंदर ही प्रचारकों की गिनती बढ़कर 21 हो गयी और स्मारक समारोह में 110 लोग हाज़िर हुए!”

आप क्या फैसला लेंगे?

जवान भाइयो और बहनो, क्या आपके हालात आपको इजाज़त देते हैं कि आप किसी ऐसे देश या जगह जाकर सेवा करें जहाँ राज प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है? यह सच है कि इस तरह का कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले ज़रूरी है कि अच्छी योजना बनायी जाए। और इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि आपके दिल में यहोवा और अपने पड़ोसियों के लिए गहरा प्यार हो। अगर आपमें यह प्यार है और आपके हालात किसी और जगह जाकर सेवा करने की इजाज़त देते हैं, तो इस बारे में यहोवा से सच्चे दिल से प्रार्थना कीजिए। साथ ही, अगर आपके माता-पिता सच्चाई में हैं तो उनसे और मंडली के प्राचीनों से अपनी इच्छा के बारे में बात कीजिए। ऐसा करने से शायद आप यह फैसला करें कि इस तरह की सेवा में आप भी हिस्सा लेंगे जो एक इंसान की ज़िंदगी खुशी और संतोष से भर देती है।

[पेज 3 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“मैंने यहोवा से कई बार प्रार्थना की और प्रौढ़ भाई-बहनों से इस बारे में काफी बातचीत की। इससे मुझे यह समझने में मदद मिली कि यहोवा ऐसे लोगों को आशीष देता है जो खुशी-खुशी उसकी सेवा करना चाहते हैं।”—अमरीका से कैलॉ

[पेज 6 पर बक्स/तसवीर]

विदेश या किसी दूसरी जगह जाकर सेवा करने के लिए खुद को कैसे तैयार करें

• निजी अध्ययन करने की अच्छी आदत डालिए

अगस्त 2011 की हमारी राज-सेवा में पेज 4-6 पर दी जानकारी पर गौर कीजिए

• ऐसे लोगों से बातचीत कीजिए जो दूसरे देश या जगह में सेवा कर चुके हैं

• उस देश या जगह की संस्कृति और इतिहास के बारे में खोज-बीन कीजिए

• वहाँ बोली जानेवाली भाषा के बारे में थोड़ा-बहुत ज्ञान लीजिए

[पेज 6 पर बक्स/तसवीर]

कुछ लोग जो दूसरे देश या दूसरी जगह जाकर सेवा करते हैं, वे अपना खर्चा उठाने के लिए . . .

• हर साल अपने देश या इलाके में, कुछ महीने काम करते हैं

• अपना घर या अपार्टमेंट किराए पर दे देते हैं

• अपना कारोबार ठेके पर दे देते हैं

• इंटरनेट पर काम करते हैं

[पेज 4, 5 पर तसवीरें]

1 जर्मनी से यॉकलीन

2 इटली से ब्रूनो

3 कनाडा से बॉ

4 आयरलैंड से शेबॉन

5 अमरीका से जोएल

6 अमरीका से जोनाथन

7 एस्टोनिया से ऑनॉ

8 ऑस्ट्रिया से एल्का

9 कनाडा से शैनटल

10 ऑस्ट्रिया से ईनीस