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आप शैतान से लड़ सकते हैं और जीत हासिल कर सकते हैं!

आप शैतान से लड़ सकते हैं और जीत हासिल कर सकते हैं!

“तुम विश्वास में मज़बूत रहकर [शैतान का] मुकाबला करो।”—1 पत. 5:9.

1. (क) शैतान के साथ हमारी लड़ाई पर आज हमें क्यों सबसे ज़्यादा ध्यान देना चाहिए? (ख) हम कैसे जानते हैं कि हम इस लड़ाई में जीत सकते हैं?

शैतान बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों और ‘दूसरी भेड़ों’ के साथ युद्ध कर रहा है। (यूह. 10:16) उसका मकसद है कि उसके पास जो थोड़ा वक्‍त बाकी है, उसमें वह ज़्यादा-से-ज़्यादा यहोवा के सेवकों को निगल जाए। (प्रकाशितवाक्य 12:9, 12 पढ़िए।) शैतान के साथ हमारी जो लड़ाई है, क्या उसमें हम जीत सकते हैं? बेशक! बाइबल यकीन दिलाती है, “शैतान का सामना करो और वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा।”—याकू. 4:7.

2, 3. (क) शैतान वजूद में नहीं है, यह मानने से कैसे उसके ही मकसद को पूरा होने में मदद मिलती है? (ख) लेकिन आप कैसे जानते हैं कि शैतान सच में है?

2 बहुत-से लोगों को यह बात मज़ाक लगती है कि शैतान सचमुच में है। उन्हें लगता है कि शैतान और दुष्ट स्वर्गदूत किस्से-कहानियों, डरावनी फिल्मों और वीडियो-गेम्स के बस काल्पनिक किरदार हैं। ऐसे लोग मानते हैं कि कोई भी समझदार इंसान भूत-प्रेत पर विश्वास नहीं करता। तो क्या आपको लगता है कि शैतान को इससे कोई आपत्ति होती होगी कि लोग उसके और उसके अदृश्य साथियों के वजूद को नहीं मानते? बिलकुल नहीं। इससे तो शैतान के लिए उन लोगों के मन को भी अंधा करने में आसानी होती है, जो उसके वजूद पर शक करते हैं। (2 कुरिं. 4:4) दरअसल वही इस बात को बढ़ावा देता है कि दुष्ट स्वर्गदूत नहीं होते। यह उसकी एक चाल है। ऐसी ही चालों से वह लोगों को गुमराह करता है।

3 लेकिन यहोवा के सेवक होने के नाते हम गुमराह हुए लोगों में से नहीं हैं। हम जानते हैं कि शैतान सच में है, क्योंकि शैतान ने ही एक साँप के ज़रिए हव्वा से बात की थी। (उत्प. 3:1-5) अय्यूब के मामले में शैतान ने ही यहोवा को ताने मारे थे। (अय्यू. 1:9-12) शैतान ने ही यीशु को बहकाने की कोशिश की थी। (मत्ती 4:1-10) जब 1914 में परमेश्वर का राज शुरू हुआ, तो वह शैतान ही था जो बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों से “युद्ध करने निकल पड़ा” था। (प्रका. 12:17) वह युद्ध अब भी चल रहा है क्योंकि शैतान, बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों और दूसरी भेड़ों का विश्वास तहस-नहस करने पर तुला हुआ है। इस युद्ध में जीतने के लिए ज़रूरी है कि हम विश्वास में मज़बूत रहकर शैतान का मुकाबला करें। इस लेख में ऐसा करने के तीन तरीकों पर चर्चा की जाएगी।

घमंड से करें तौबा

4. शैतान ने कैसे दिखाया है कि वह बहुत घमंडी है?

4 शैतान में घमंड कूट-कूटकर भरा हुआ है। इस दुष्ट स्वर्गदूत ने यहोवा की हुकूमत पर सवाल उठाने की जुर्रत की। उसने दूसरों को बहकाने की कोशिश की कि वे यहोवा के बजाय उसकी उपासना करें। इस तरह उसने दिखाया कि वह कितना घमंडी और मगरूर है! इसलिए शैतान का मुकाबला करने का एक तरीका है कि हम अपने अंदर से घमंड निकाल फेंकें और नम्रता बढ़ाते जाएँ। (1 पतरस 5:5 पढ़िए।) लेकिन घमंड है क्या? और यह गर्व से कैसे अलग है?

5, 6. (क) क्या गर्व करने में कोई बुराई है? समझाइए। (ख) घमंड क्या है? (ग) बाइबल से कुछ उदाहरण बताइए कि घमंड के क्या बुरे अंजाम हो सकते हैं?

5 गर्व के बारे में एक शब्दकोश बताता है कि यह खुद पर विश्वास और आत्म-सम्मान की भावना है। साथ ही, ‘जब आप या आपका कोई अपना कुछ अच्छा करता है या फिर आपमें या उसमें कोई अच्छाई होती है तब आपको जो खुशी महसूस होती है’ वही गर्व है। गर्व करने में कोई बुराई नहीं है। प्रेषित पौलुस ने थिस्सलुनीके के मसीहियों को लिखा, “इस वजह से, तुम ज़ुल्म सहते हुए भी जो धीरज और विश्वास दिखा रहे हो, और जो क्लेश सह रहे हो उसे देखते हुए हम खुद परमेश्वर की मंडलियों में तुम पर गर्व करते हैं।” (2 थिस्स. 1:4) इसलिए दूसरों के अच्छे कामों के बारे में और यहाँ तक कि अपने बारे में गर्व महसूस करना फायदेमंद हो सकता है। हम जिस परिवार, संस्कृति या जगह में पले-बढ़े हैं, उसके बारे में गर्व महसूस करने में कोई हर्ज़ नहीं है।—प्रेषि. 21:39.

6 लेकिन घमंड क्या है? जो व्यक्‍ति अपने आपको कुछ ज़्यादा ही समझता है, उसके बारे में कहा जाता है कि वह घमंडी है। या फिर ‘जो लोग अहंकार की वजह से खुद को दूसरों से बेहतर समझते हैं, जबकि वे अकसर ऐसे होते नहीं हैं,’ तो उनके इस रवैये को घमंड कहा जाता है। घमंड दूसरों के साथ हमारे रिश्ते और यहोवा के साथ हमारी दोस्ती बरबाद कर सकता है। अगर हममें घमंड होगा, तो जब हमें कोई सलाह या ताड़ना दी जाएगी, तो हम नाराज़ हो सकते हैं। यहाँ तक कि हम वह ताड़ना ठुकरा सकते हैं, बजाय इसके कि नम्रता से उसे कबूल करें। (भज. 141:5) यहोवा घमंड से नफरत करता है। (यहे. 33:28; आमो. 6:8) लेकिन शैतान यह देखकर बहुत खुश होता है कि कैसे लोग उसकी तरह शेखी मारते हैं और घमंड करते हैं। ज़रा सोचिए जब निम्रोद, फिरौन और अबशालोम ने घमंड में आकर शेखी मारी, तो शैतान कितना खुश हुआ होगा! (उत्प. 10:8, 9; निर्ग. 5:1, 2; 2 शमू. 15:4-6) घमंड की वजह से ही कैन परमेश्वर के साथ अपना रिश्ता गवाँ बैठा। उसे खुद यहोवा ने ताड़ना दी, लेकिन वह इतना घमंडी था कि उसने ताड़ना कबूल नहीं की। वह बड़ा अड़ियल स्वभाव का था। इसीलिए उसने परमेश्वर की चेतावनी ठुकरा दी और उसके खिलाफ पाप करने से बिलकुल नहीं डरा।—उत्प. 4:6-8.

7, 8. (क) जाति-भेद का मतलब क्या है? (ख) यह क्यों कहा जा सकता है कि लोग घमंड की वजह से जाति-भेद करते हैं? (ग) समझाइए कि कैसे घमंड की वजह से मंडली की शांति भंग हो सकती है।

7 घमंड की वजह से आज लोग बहुत-से ऐसे काम करते हैं, जिनका लोगों पर बहुत बुरा असर होता है। जैसे कि घमंड की वजह से कभी-कभी लोग जाति-भेद करते हैं। एक शब्दकोश के मुताबिक जाति-भेद का मतलब है, दूसरी जाति के लोगों के साथ भेदभाव करना। साथ ही, यह मानना कि कुछ जातियों में पैदाइश से ही खास गुण या काबिलीयतें होती हैं, जबकि कुछ जातियों में नहीं और कुछ जातियाँ दूसरी जातियों से ऊँची या नीची होती हैं। जाति-भेद की वजह से दंगे-फसाद हुए हैं, युद्ध हुए हैं, लोगों ने खून की नदियाँ बहायी हैं।

8 मसीही मंडली में ऐसी बातों के लिए कोई जगह नहीं है। फिर भी, कभी-कभी घमंड की वजह से भाई-बहनों के बीच मन-मुटाव हो सकता है और धीरे-धीरे यह बात बढ़ सकती है, यानी राई का पहाड़ बन सकता है। पहली सदी के मसीहियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। इसलिए याकूब ने उनसे यह तीखा सवाल पूछा, “तुम्हारे बीच लड़ाइयाँ और झगड़े कहाँ से आए?” (याकू. 4:1) अगर दूसरों के लिए हमारे दिल में नफरत होगी और हम खुद को दूसरों से बेहतर समझेंगे, तो हो सकता है हम कोई ऐसी बात बोल जाएँ या ऐसा काम कर बैठें, जिससे दूसरों को बहुत चोट पहुँच सकती है। (नीति. 12:18) जी हाँ, घमंड की वजह से मंडली की शांति भंग हो सकती है।

9. अगर हम चाहते हैं कि हमारे अंदर जाति-भेद या किसी भी तरह का घमंड न आए, तो इस बारे में बाइबल कैसे हमारी मदद कर सकती है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

9 अगर खुद को दूसरों से बड़ा समझना हमारी फितरत है, तो हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा “मन के घमण्डियों” से नफरत करता है। (नीति. 16:5) हमें अपने दिल की जाँच करनी चाहिए और खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मुझे ऐसा लगता है कि मैं, दूसरी जाति, देश या संस्कृति के लोगों से बेहतर हूँ?’ अगर ऐसा है तो हम यह सच्चाई ठुकरा रहे होंगे कि परमेश्वर ने “एक ही इंसान से सारी जातियाँ बनायीं।” (प्रेषि. 17:26) इसलिए देखा जाए तो एक मायने में हम सबकी एक ही जाति है, क्योंकि हम सबका एक ही पुरखा है, आदम। तो फिर यह मानना कितनी बड़ी बेवकूफी होगी कि परमेश्वर ने कुछ जातियों को दूसरी जातियों से बेहतर बनाया है। अगर हम ऐसा सोचते हैं तो हम शैतान को हमारे बीच मसीही प्यार और एकता तोड़ने का मौका दे रहे होंगे। (यूह. 13:35) अगर हम शैतान से लड़ना चाहते हैं और जीत हासिल करना चाहते हैं, तो हमें अपने अंदर किसी भी तरह का घमंड नहीं आने देना चाहिए।—नीति. 16:18.

धन-दौलत बटोरने और दुनिया से प्यार करने से बचें

10, 11. (क) एक मसीही आसानी से इस दुनिया से प्यार करने लग सकता है। ऐसा क्यों? (ख) इस दुनिया से प्यार करने की वजह से देमास ने क्या गवाँ दिया?

10 शैतान “इस दुनिया का राजा” है और यह दुनिया उसके कब्ज़े में है। (यूह. 12:31; 1 यूह. 5:19) इसलिए यह दुनिया जिन बातों का बढ़ावा देती है, उनमें से ज़्यादातर बाइबल के स्तरों से मेल नहीं खातीं। हाँ यह सच है कि इस दुनिया की हर चीज़ बुरी नहीं है। फिर भी हमें यह मानकर चलना चाहिए कि शैतान इस दुनिया की चीज़ें दिखाकर हमारी ख्वाहिशों का नाजायज़ फायदा उठाएगा और हमसे पाप करवाने की कोशिश करेगा। या वह कोशिश करेगा कि हम इस दुनिया से प्यार करने लगें और यहोवा की उपासना को नज़रअंदाज़ कर दें।—1 यूहन्ना 2:15, 16 पढ़िए।

11 पहली-सदी के कुछ मसीही इस दुनिया से प्यार करने लगे थे। उदाहरण के लिए, पौलुस ने लिखा: “देमास ने इस ज़माने के मोह में पड़कर मुझे छोड़ दिया है।” (2 तीमु. 4:10) बाइबल यह साफ-साफ नहीं बताती कि देमास इस दुनिया की किस चीज़ से प्यार करने लगा था, जिस वजह से उसने पौलुस को छोड़ दिया। हो सकता है देमास यहोवा की सेवा से ज़्यादा धन-दौलत से प्यार करने लगा हो। अगर यह बात सच थी तो देमास ने परमेश्वर की सेवा में बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ पाने का मौका गवाँ दिया। क्या ऐसा करना फायदेमंद था? बिलकुल नहीं। देमास, पौलुस का मददगार बनकर सेवा करता रह सकता था और यहोवा उसे ऐसी आशीषें दे सकता था, जो यह दुनिया कभी नहीं दे सकती थी।—नीति. 10:22.

12. “भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत” से शैतान कैसे हमारी ख्वाहिशों का नाजायज़ फायदा उठा सकता है?

12 ऐसा हमारे साथ भी हो सकता है। मसीही होने के नाते, ज़ाहिर-सी बात है कि हम खुद की और अपने परिवार की खाने-पीने जैसी ज़रूरतें पूरी करना चाहेंगे। (1 तीमु. 5:8) और क्यों न हो, यहोवा चाहता है कि हम ज़िंदगी का मज़ा लें, तभी तो उसने आदम और हव्वा को इतनी खूबसूरत जगह दी थी। (उत्प. 2:9) मगर शैतान “भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत” से हमारी इन ख्वाहिशों का नाजायज़ फायदा उठा सकता है। (मत्ती 13:22) बहुत-से लोग सोचते हैं कि धन-दौलत और पैसा उन्हें खुशी देगा या उन्हें ज़िंदगी में कामयाब बनाएगा। पर यह धोखा है। इस धोखे में आकर हम अपनी सबसे कीमती चीज़, जी हाँ, हम यहोवा के साथ अपनी दोस्ती गवाँ सकते हैं। यीशु ने चेतावनी दी, “कोई भी दो मालिकों का दास बनकर सेवा नहीं कर सकता; क्योंकि या तो वह एक से नफरत करेगा और दूसरे से प्यार या वह एक से जुड़ा रहेगा और दूसरे को तुच्छ समझेगा। तुम परमेश्वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।” (मत्ती 6:24) अगर हम धन-दौलत की गुलामी करते हैं, तो हम यहोवा की सेवा नहीं कर रहे होंगे। और यही तो शैतान चाहता है। आइए हम कभी भी पैसे या पैसे से खरीदी जानेवाली चीज़ों को यहोवा के साथ अपनी दोस्ती से ज़्यादा अहमियत न दें। तो फिर अगर हम शैतान से लड़ना चाहते हैं और जीत हासिल करना चाहते हैं, तो हमें धन-दौलत के बारे में सही नज़रिया रखना होगा।—1 तीमुथियुस 6:6-10 पढ़िए।

लैंगिक अनैतिकता ठुकराइए

13. शादीशुदा ज़िंदगी और सेक्स के बारे में यह दुनिया किस गलत धारणा का बढ़ावा देती है?

13 शैतान का एक और फँदा है, लैंगिक अनैतिकता। आज बहुत-से लोग सोचते हैं कि एक पति या एक पत्नी के वफादार रहना, यहाँ तक कि शादी के बंधन में बँधना, एक बंदिश है और यह पुराने खयालात हैं। उदाहरण के लिए, एक जानी-मानी अभिनेत्री ने कहा, ‘स्त्री और पुरुष दोनों के लिए एक ही व्यक्‍ति के साथ पूरी ज़िंदगी बिताना नामुमकिन है। मैं ऐसे किसी व्यक्‍ति को नहीं जानती जो अपने साथी का वफादार हो या वफादार रहना चाहता हो।’ एक अभिनेता ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी के साथ अपनी पूरी ज़िंदगी बिताना हमारी फितरत में है।’ जब ऐसे नामी-गिरामी लोग परमेश्वर के दिए इस तोहफे का अपमान करते हैं, तो शैतान ज़रूर खुश होता होगा। वह शादी के इस इंतज़ाम से बिलकुल खुश नहीं है और न ही इसे कामयाब होते देखना चाहता है। अगर हम शैतान से लड़ना चाहते हैं और जीत हासिल करना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि हम शादी के इस इंतज़ाम को उसी नज़र से देखें, जिस नज़र से यहोवा देखता है।

14, 15. अगर आप लैंगिक अनैतिकता के काम करने के लिए लुभाए जाते हैं, तो आप क्या कर सकते हैं?

14 चाहे हम शादीशुदा हों या अविवाहित, हमें हर तरह की लैंगिक अनैतिकता से बचने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। क्या यह आसान है? बिलकुल नहीं! अगर आप एक नौजवान हैं, तो आप शायद अपने स्कूल के साथियों को ये डींगें मारते सुनें कि वे जिसके साथ चाहे उसके साथ लैंगिक संबंध रख सकते हैं। आप शायद उन्हें मोबाइल से दूसरों को अश्‍लील मैसेज या तसवीरें भेजने के बारे में भी डींगें मारते हुए सुनें। इस तरह के मैसेज या तसवीरें भेजना एक ऐसी आदत है, जिसे कुछ देशों में उतना ही गंभीर माना जाता है, जितना किसी को बच्चों की नंगी तसवीरें भेजना। बाइबल कहती है, “जो व्यभिचार में लगा रहता है वह अपने ही शरीर के खिलाफ पाप कर रहा है।” (1 कुरिं. 6:18) नाजायज़ लैंगिक संबंध रखने से कई बीमारियाँ फैलती हैं। इस वजह से लोगों को बहुत-सी तकलीफें झेलनी पड़ी हैं, यहाँ तक कि ज़िंदगी से हाथ धोना पड़ा है। जिन नौजवानों ने शादी से पहले लैंगिक संबंध बनाए उनमें से ज़्यादातर कहते हैं, वे अब पछताते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। टी.वी. कार्यक्रम और फिल्में हमें यह यकीन दिलाना चाहती हैं कि परमेश्वर के कानून तोड़ने से कोई नुकसान नहीं होगा। अगर हम इस तरह के झूठ पर यकीन कर लें, तो “पाप की भरमाने की ताकत” से हम गुमराह हो सकते हैं।—इब्रा. 3:13.

15 अगर आपके मन में लैंगिक अनैतिकता के काम करने के खयाल आते हैं, तो आप क्या कर सकते हैं? सबसे पहले यह कबूल कीजिए कि आपमें यह कमज़ोरी है। (रोमि. 7:22, 23) ताकत पाने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए। (फिलि. 4:6, 7, 13) ऐसे हालात में पड़ने से बचिए जिसमें आपके लिए अनैतिक काम करने का ज़्यादा खतरा है। (नीति. 22:3) जब कोई प्रलोभन आता है, तो उसे फौरन ठुकरा दीजिए।—उत्प. 39:12.

16. (क) जब शैतान ने यीशु को फुसलाने की कोशिश की, तो यीशु ने उससे क्या कहा? (ख) इस उदाहरण से हम क्या सीख सकते हैं?

16 गलत काम के लिए लुभाए जाने पर उसे कैसे ठुकराना है, इस बारे में यीशु एक बेहतरीन मिसाल है। शैतान ने यीशु से जो वादे किए, उनसे वह बहका नहीं और न ही उसने रुककर उन वादों के बारे में सोचा। इसके बजाय, उसने फौरन शैतान से कहा, “यह लिखा है।” (मत्ती 4:4-10 पढ़िए।) यीशु, परमेश्वर का वचन अच्छी तरह जानता था। इसलिए जब शैतान ने उसे बहकाने की कोशिश की, तो उसने फौरन शास्त्र से जवाब दिया। अगर हम शैतान से लड़ना चाहते हैं और जीत हासिल करना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि जब हमें लैंगिक अनैतिकता के लिए लुभाया जाता है, तो उसे फौरन ठुकरा दें।—1 कुरिं. 6:9, 10.

धीरज धरिए और जीत हासिल कीजिए

17, 18. (क) शैतान और कौन-से हथकंडे अपनाता है? (ख) लेकिन हमें क्यों इस बात से हैरानी नहीं होनी चाहिए? (ग) आगे चलकर शैतान के साथ क्या होगा और इससे आपको धीरज धरने में कैसे मदद मिलती है?

17 घमंड, धन-दौलत बटोरना और लैंगिक अनैतिकता, ये तो सिर्फ तीन उदाहरण हैं। शैतान ऐसे ही न जाने कितने हथकंडे अपनाता है। जैसे, कुछ मसीहियों के परिवारवाले उनका विरोध करते हैं, तो कुछ मसीहियों के स्कूल के साथी उनका मज़ाक उड़ाते हैं। कुछ देशों में हमारे भाई-बहनों के प्रचार काम पर वहाँ की सरकार पाबंदी लगाती है। लेकिन इस तरह की तकलीफों से हमें हैरानी नहीं होती, क्योंकि यीशु ने अपने चेलों को पहले से आगाह कर दिया था, “मेरे नाम की वजह से तुम सब लोगों की नफरत के शिकार बनोगे। मगर जो अंत तक धीरज धरेगा, वही उद्धार पाएगा।”—मत्ती 10:22.

शैतान को नाश कर दिया जाएगा (पैराग्राफ 18 देखिए)

18 हम शैतान से कैसे लड़ सकते हैं और जीत हासिल कर सकते हैं? यीशु ने कहा था, “तुम धीरज धरने की वजह से अपनी जान बचा पाओगे।” (लूका 21:19) इंसान हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकता, जिससे हमें हमेशा नुकसान उठाना पड़े। परमेश्वर के साथ हमारी जो दोस्ती है, उसे कोई नहीं तोड़ सकता, सिवाय हमारे। (रोमि. 8:38, 39) अगर यहोवा के कुछ वफादार सेवकों की मौत भी हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं कि शैतान जीत गया। यहोवा उन्हें दोबारा जी उठाएगा। (यूह. 5:28, 29) लेकिन शैतान का भविष्य अंधकार में है। इस दुष्ट दुनिया के विनाश के बाद, उसे 1,000 साल के लिए अथाह-कुंड में फेंक दिया जाएगा। (प्रका. 20:1-3) मसीह की हज़ार साल की हुकूमत के आखिर में, शैतान को “उसकी कैद से आज़ाद किया जाएगा।” फिर वह सिद्ध हो चुके इंसानों को आखिरी बार गुमराह करने की कोशिश करेगा। उसके बाद, उसे नाश कर दिया जाएगा। (प्रका. 20:7-10) शैतान के पास भविष्य की कोई आशा नहीं, लेकिन आपके पास है! शैतान से लड़ते रहिए और अपना विश्वास मज़बूत बनाए रखिए। आप शैतान से लड़ सकते हैं और जीत हासिल कर सकते हैं!