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क्या आप परमेश्‍वर पर भरोसा रखेंगे?

क्या आप परमेश्‍वर पर भरोसा रखेंगे?

कल्पना कीजिए कि आपका एक दोस्त है, जिसे आप बहुत पसंद करते हैं। वह कुछ ऐसा करता है, जो आपको समझ में नहीं आता। इस काम के लिए दूसरे उसको बुरा-भला कहकर उसके इरादों पर शक करते हैं। यही नहीं, वे इलज़ाम लगाते हैं कि वह बेरहम है। क्या आप झट से उनकी बातों पर यकीन कर लेंगे या फिर आप यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर आपका दोस्त इस बारे में क्या सोचता है? मान लीजिए, अगर वह आपको जवाब देने के लिए वहाँ मौजूद नहीं होता, तब भी क्या आप सब्र दिखाते हुए उसके बारे में सही नज़रिया बनाए रखेंगे?

जवाब देने से पहले आप कुछ और बातें जानना चाहेंगे। आप खुद से पूछ सकते हैं, ‘मैं अपने इस दोस्त को कितनी करीबी से जानता हूँ? और किस वजह से मैं उसे पसंद करता हूँ?’ आपका ऐसा पूछना वाजिब है। और क्या आपको नहीं लगता कि यही सिद्धांत उस वक्‍त भी लागू होता है, जब हम यह सवाल करते हैं कि क्या वाकई परमेश्‍वर बेरहम है?

हो सकता है, परमेश्‍वर ने जो काम किए हैं उनमें से कुछ समझना आपको मुश्‍किल लगे या फिर उसने जिन बातों की इजाज़त दी है, वे आपको समझ में न आएँ। दुनिया में ऐसे बहुत-से लोग हैं, जो आपसे कहेंगे कि परमेश्‍वर बेरहम है और शायद आप पर ज़ोर डालें कि आप परमेश्‍वर के इरादों पर शक करें, ठीक जैसे वे करते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे? क्या आप जानकारी मिलने तक परमेश्‍वर के बारे में सही नज़रिया बनाए रखेंगे? इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि आप परमेश्‍वर को कितनी करीबी से जानते हैं। खुद से पूछिए, ‘परमेश्‍वर मेरे लिए कैसा दोस्त है?’

अगर आपको ज़िंदगी में हमेशा परेशानियों से गुज़रना पड़ा हो, तो शायद आप कहें कि परमेश्‍वर कभी मेरा दोस्त था ही नहीं। लेकिन ज़रा सोचिए क्या सचमुच परमेश्‍वर आपकी ज़िंदगी में मुश्‍किलें लाता है या आशीषें? जैसा कि हमने देखा शैतान “इस दुनिया का राजा” है, न कि यहोवा। (यूहन्‍ना 12:31) इसलिए हम कह सकते हैं कि दुनिया में हो रहे अन्याय और दुख-तकलीफों के लिए शैतान ज़िम्मेदार है। और क्या ऐसा नहीं होता कि कई बार हमारी परेशानियों के लिए हम खुद या फिर अचानक बदलनेवाले हालात ज़िम्मेदार होते हैं?

क्या वाकई परमेश्‍वर आपकी ज़िंदगी में मुश्‍किलें लाता है या आशीषें?

वहीं दूसरी तरफ, परमेश्‍वर किन बातों के लिए ज़िम्मेदार है? गौर कीजिए बाइबल कहती है कि यहोवा ‘आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।’ उसके आश्‍चर्य के कामों में हमारा इंसानी शरीर भी शामिल है जो ‘अद्‌भुत रीति से रचा गया है।’ साथ ही, यह कि यहोवा परमेश्‍वर के “हाथ में [हमारा] प्राण है।” (भजन 124:8; 139:14; दानिय्येल 5:23) इन सबका क्या मतलब है?

इसका मतलब है कि हम अपनी हर साँस और जीवन के लिए परमेश्‍वर के कर्ज़दार हैं। (प्रेषितों 17:28) ज़िंदगी में ऐसी बहुत-सी चीज़ें हैं, जो हमें खुशियों से भर देती हैं। जैसे, एक-दूसरे पर प्यार ज़ाहिर करने की काबिलीयत, दोस्तों के साथ समय बिताना और अपने अज़ीज़ों को छूने का एहसास। यही नहीं, ज़ायकेदार खाने का मज़ा लेना, संगीत सुनना और हर तरह की खुशबू का लुत्फ उठाना। बेशक, ये सारी चीज़ें हमें परमेश्‍वर से मिला तोहफा है! (याकूब 1:17) क्या आप इस बात से सहमत नहीं होंगे कि जिसने हमें ये सारी आशीषें दी हैं, वह हमारा दोस्त है और हमारा भरोसा और आदर पाने का हकदार है?

हो सकता है, आपको परमेश्‍वर पर भरोसा करना मुश्‍किल लगे। शायद आप कहें कि आप उसे इतनी अच्छी तरह नहीं जानते कि उस पर भरोसा कर सकें। आपका ऐसा सोचना लाज़मी है। इन छोटे लेखों में हम शायद वह तमाम बातों पर चर्चा न कर पाएँ कि क्यों लोग यह राय रखते हैं कि परमेश्‍वर बेरहम है। जी हाँ, हमें परमेश्‍वर को और बेहतर जानने की ज़रूरत है। * यकीन मानिए, अगर आप उसे जानने में मेहनत करेंगे, तो आप उसके बारे में सच्चाई जान सकेंगे कि वह बेरहम नहीं, बल्कि ‘प्यार करनेवाला परमेश्‍वर है।’—1 यूहन्‍ना 4:8. ▪ (w13-E 05/01)

^ मिसाल के लिए, परमेश्‍वर ने दुख-तकलीफों को क्यों रहने दिया, इस बारे में और जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 11 देखिए, इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।