दानियेल 7:1-28

7  बैबिलोन के राजा बेलशस्सर+ के राज के पहले साल, दानियेल ने बिस्तर पर लेटे एक सपना और कुछ दर्शन देखे।+ फिर उसने लिखा कि उसने क्या सपना देखा था।+ उसने जो-जो देखा, उसका पूरा ब्यौरा लिखा।  दानियेल ने कहा, “मैंने रात को दर्शन में यह देखा: आकाश के चारों तरफ से आँधी चलने लगी, जो विशाल समुंदर में हलचल मचाने लगी!+  समुंदर में से चार बड़े-बड़े जानवर+ निकले, जो एक-दूसरे से अलग थे।  पहला जानवर शेर जैसा था+ और उसके उकाब जैसे पंख थे।+ मैं उसे देख ही रहा था कि उसके पंख नोच दिए गए और उसे ज़मीन से ऊपर उठाया गया और एक आदमी की तरह दो पैरों पर खड़ा किया गया और उसे एक इंसान का दिल दिया गया।  फिर मैंने दूसरा जानवर देखा, जो रीछ जैसा था!+ उसका शरीर एक तरफ से उठा हुआ था और उसके मुँह में दाँतों के बीच तीन पसलियाँ थीं। उससे कहा गया, ‘उठ, खूब माँस खा।’+  मैंने दर्शन में आगे देखा कि एक और जानवर निकला जो चीते जैसा था!+ मगर उसकी पीठ पर पक्षियों जैसे चार पंख थे। उस जानवर के चार सिर थे+ और उसे राज करने का अधिकार दिया गया।  फिर मैंने दर्शन में चौथा जानवर देखा, जो बड़ा ही खूँखार और डरावना था। वह बहुत ताकतवर था और उसके बड़े-बड़े लोहे के दाँत थे। वह सबकुछ खा जाता और चूर-चूर कर देता और जो कुछ बच जाता उसे पैरों से रौंद डालता।+ वह उससे पहले के सभी जानवरों से अलग था और उसके दस सींग थे।  मैं उन सींगों पर गौर कर ही रहा था कि उनके बीच से एक छोटा सींग निकल आया!+ फिर उस छोटे सींग के सामने पहलेवाले सींगों में से तीन उखाड़ दिए गए। फिर मैंने देखा कि उस छोटे सींग में इंसान जैसी आँखें थीं और एक मुँह भी था जो बड़ी-बड़ी डींगें मारता था!+  मैं दर्शन देख ही रहा था कि राजगद्दियाँ रखी गयीं और ‘अति प्राचीन’+ अपनी राजगद्दी पर विराजमान हुआ।+ उसकी पोशाक बर्फ जैसी उजली थी+ और उसके सिर के बाल ऊन जैसे सफेद थे। उसकी राजगद्दी आग की ज्वाला थी और राजगद्दी के पहिए धधकती आग थे।+ 10  उसके सामने से आग की धारा बह रही थी।+ हज़ारों-हज़ार स्वर्गदूत उसकी सेवा कर रहे थे, लाखों-लाख उसके सामने खड़े थे।+ फिर अदालत+ की कार्रवाई शुरू हुई और किताबें खोली गयीं। 11  मैं देखता रहा क्योंकि वह सींग बड़ी-बड़ी डींगें हाँक रहा था।+ मैं देख ही रहा था कि वह जानवर मार डाला गया और उसकी लाश आग में डालकर भस्म कर दी गयी। 12  मगर जहाँ तक बाकी जानवरों की बात है,+ उनका राज करने का अधिकार छीन लिया गया और उन्हें कुछ समय और जीने दिया गया। 13  मैंने रात के दर्शनों में आगे देखा कि इंसान के बेटे+ जैसा कोई आकाश के बादलों के साथ आ रहा है! उसे ‘अति प्राचीन’+ के पास जाने की इजाज़त दी गयी और वे उसे उसके सामने ले गए। 14  उसे राज करने का अधिकार,+ सम्मान+ और एक राज दिया गया ताकि सब राष्ट्रों और भाषाओं के लोग उसकी सेवा करें।+ उसका राज करने का अधिकार सदा बना रहेगा, वह कभी नहीं मिटेगा और उसका राज कभी नाश नहीं होगा।+ 15  मैं दानियेल मन-ही-मन बहुत परेशान हो उठा, क्योंकि मैं उन दर्शनों से बहुत डर गया था।+ 16  वहाँ जो खड़े थे, उनमें से एक के पास मैं गया ताकि उससे पूछूँ कि उन दर्शनों का असल मतलब क्या है। तब उसने मुझे जवाब दिया और बताया कि उन बातों का मतलब क्या है। 17  ‘ये चार बड़े-बड़े जानवर+ चार राजा हैं जो धरती से उठेंगे।+ 18  मगर राज सबसे महान परमेश्‍वर के पवित्र जनों+ को दिया जाएगा+ और इस राज पर उनका सदा के लिए अधिकार होगा,+ हाँ, युग-युग तक उन्हीं का अधिकार होगा।’ 19  फिर मैंने चौथे जानवर के बारे में ज़्यादा जानना चाहा, जो बाकी जानवरों से बिलकुल अलग था। वह बहुत ही भयानक था और उसके लोहे के दाँत और ताँबे के पंजे थे। वह सबकुछ खा जाता और चूर-चूर कर देता था और जो कुछ बच जाता उसे पैरों से रौंद डालता था।+ 20  मैंने उसके सिर के दस सींगों+ के बारे में भी जानना चाहा और उस दूसरे सींग के बारे में भी, जो बाद में निकल आया था और जिसके सामने तीन सींग उखड़कर गिर गए थे।+ उस सींग की आँखें थीं और एक मुँह भी था जिससे वह बड़ी-बड़ी डींगें मारता था। वह सींग बाकी सींगों से बहुत बड़ा था। 21  मैंने आगे देखा कि वह सींग पवित्र जनों से युद्ध करने लगा और तब तक उन पर अपना ज़ोर आज़माता रहा+ 22  जब तक कि ‘अति प्राचीन’+ न आया और सबसे महान परमेश्‍वर के पवित्र जनों के पक्ष में फैसला न सुनाया गया।+ और तब वह तय समय आ गया कि पवित्र जन राज पर अधिकार करें।+ 23  जो मुझे दर्शन समझा रहा था उसने मुझसे कहा, ‘चौथा जानवर, चौथे राज को दर्शाता है जो धरती पर आएगा। वह बाकी सभी राज्यों से अलग होगा, वह पूरी धरती को खा जाएगा, उसे पैरों तले रौंद डालेगा और चूर-चूर कर देगा।+ 24  दस सींग दस राजाओं को दर्शाते हैं जो उसी राज में से निकलेंगे और उनके बाद एक और राजा आएगा जो पहले के राजाओं से अलग होगा और तीन राजाओं को नीचा दिखाएगा।+ 25  वह परम-प्रधान परमेश्‍वर के खिलाफ बातें करेगा+ और सबसे महान परमेश्‍वर के पवित्र जनों को सताता रहेगा। वह समय और कानून को बदलने की कोशिश करेगा और पवित्र जनों को उसके हाथ में एक काल, दो काल और आधे काल* के लिए दे दिया जाएगा।+ 26  मगर फिर अदालत की कार्रवाई शुरू हुई और उन्होंने उसका राज करने का अधिकार छीन लिया ताकि उसे मिटा दें और पूरी तरह नाश कर दें।+ 27  और आकाश के नीचे के सारे राज्य और राज करने का अधिकार और उनका वैभव सबसे महान परमेश्‍वर के पवित्र जनों को दे दिया गया।+ उनका राज सदा तक कायम रहनेवाला राज है+ और सारे राज्य उनकी सेवा करेंगे और उनकी आज्ञा मानेंगे।’ 28  मेरे दर्शन का ब्यौरा यहीं खत्म होता है। मैं दानियेल, दर्शन की बातें सोचकर बहुत घबरा गया, मेरा चेहरा पीला पड़ गया,* मगर मैंने यह बात अपने दिल में ही रखी।”

कई फुटनोट

यानी साढ़े तीन काल।
या “मेरा रूप बदल गया।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो