निर्गमन 19:1-25

19  मिस्र से निकलने के तीसरे महीने में इसराएली सीनै वीराने पहुँचे।  उसी दिन उन्होंने रपीदीम+ से अपना पड़ाव उठाया और सीनै वीराने में आकर अपना पड़ाव डाला। इसराएल ने वहाँ पहाड़ के सामने डेरा डाला।+  फिर मूसा ऊपर पहाड़ पर सच्चे परमेश्‍वर के पास गया।+ पहाड़ पर से यहोवा ने मूसा से कहा, “तू याकूब के घराने से, इसराएलियों से कहना:  ‘तुमने खुद अपनी आँखों से देखा है कि मैंने मिस्रियों के साथ क्या किया+ ताकि तुम्हें अपने पास ले आऊँ, जैसे उकाब अपने चूज़ों को पंखों पर चढ़ाकर ले जाता है।+  अब अगर तुम सख्ती से मेरी आज्ञा का पालन करोगे और मेरा करार मानोगे, तो सब देशों में से तुम मेरी खास जागीर* बन जाओगे,+ क्योंकि मैं ही पूरी धरती का मालिक हूँ।+  तुम मेरे लिए याजकों से बना राज और एक पवित्र राष्ट्र बन जाओगे।’+ तू जाकर इसराएलियों से ये सारी बातें कहना।”  मूसा ने जाकर लोगों के मुखियाओं को बुलाया और उन्हें वे सारी बातें बतायीं जिनकी आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी।+  इसके बाद सारे लोगों ने एकमत होकर जवाब दिया, “यहोवा ने जो-जो कहा है, वह सब करना हमें मंज़ूर है।”+ मूसा ने फौरन जाकर लोगों की यह बात यहोवा को बतायी।  यहोवा ने मूसा से कहा, “देख! मैं एक काले बादल में तेरे पास आऊँगा ताकि जब मैं तुझसे बात करूँ तो लोग सुन सकें और सदा तुझ पर भी विश्‍वास करें।” फिर मूसा ने यहोवा को बताया कि लोगों ने क्या कहा। 10  फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “तू लोगों के पास जा और उन्हें आज और कल के दिन पवित्र ठहरा और वे अपने कपड़े ज़रूर धोएँ। 11  वे तीसरे दिन के लिए तैयार रहें क्योंकि उस दिन यहोवा सब लोगों के सामने सीनै पहाड़ पर उतरेगा। 12  तुझे पहाड़ के चारों तरफ लोगों के लिए हद तय करनी होगी और उन्हें यह बताना होगा, ‘ध्यान रखो, तुममें से कोई भी पहाड़ के ऊपर न जाए, न ही उस पर कदम रखे। अगर किसी ने पहाड़ पर कदम रखा तो उसे ज़रूर मार डाला जाएगा। 13  उस गुनहगार को कोई भी हाथ से न छुए बल्कि उसे पत्थरों से या भेदकर* मार डाला जाए। चाहे वह इंसान हो या जानवर, उसे ज़िंदा नहीं छोड़ा जाएगा।’+ मगर जब नरसिंगे की आवाज़ सुनायी पड़ेगी+ तब लोग पहाड़ के पास आ सकते हैं।” 14  फिर मूसा पहाड़ से उतरकर लोगों के पास गया। वह उन्हें पवित्र ठहराने लगा और उन्होंने अपने कपड़े धोए।+ 15  मूसा ने लोगों से कहा, “तुम सब तीसरे दिन के लिए तैयार हो जाओ। तुममें से कोई भी यौन-संबंध न रखे।”* 16  तीसरे दिन सुबह तेज़ गरजन होने लगा और बिजली चमकने लगी। पहाड़ पर एक घना बादल+ दिखायी दिया और नरसिंगे की ज़ोरदार आवाज़ सुनायी दी। छावनी में सब लोग डर के मारे थरथराने लगे।+ 17  फिर मूसा लोगों को सच्चे परमेश्‍वर से मिलाने के लिए छावनी से बाहर ले आया और वे सब पहाड़ के नीचे खड़े हुए। 18  सीनै पहाड़ धुएँ से ढक गया क्योंकि यहोवा आग में उस पर उतरा था।+ ऐसा धुआँ उठ रहा था जैसे भट्ठे में से उठता है और पूरा पहाड़ बुरी तरह काँपने लगा।+ 19  नरसिंगे की आवाज़ तेज़ होती गयी और मूसा ने सच्चे परमेश्‍वर से बात की और परमेश्‍वर की आवाज़ ने उसे जवाब दिया। 20  इस तरह यहोवा सीनै पहाड़ की चोटी पर उतरा। फिर यहोवा ने मूसा को पहाड़ की चोटी पर आने के लिए कहा और मूसा वहाँ गया।+ 21  तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तू नीचे जा और लोगों को खबरदार कर कि वे यहोवा को देखने के लिए, तय की गयी हद पार करने की कोशिश न करें, वरना बहुत-से लोग नाश हो जाएँगे। 22  और याजक भी, जो यहोवा के पास आया करते हैं, खुद को पवित्र ठहराएँ ताकि यहोवा उन्हें मार न डाले।”*+ 23  मूसा ने यहोवा से कहा, “लोग सीनै पहाड़ पर नहीं आएँगे क्योंकि तूने पहले ही हमें मना किया था और मुझसे कहा था, ‘पहाड़ के चारों तरफ हद तय करना और उसे पवित्र ठहराना।’”+ 24  फिर भी यहोवा ने उससे कहा, “तू नीचे जा और अपने साथ हारून को लेकर वापस ऊपर आ। मगर याजकों और लोगों से कहना कि वे तय की गयी हद पार करके यहोवा के पास आने की कोशिश न करें ताकि ऐसा न हो कि वह उन्हें मार डाले।”+ 25  फिर मूसा पहाड़ से उतरकर लोगों के पास गया और उन्हें यह सब बताया।

कई फुटनोट

या “अनमोल जायदाद।”
शायद तीर से भेदकर।
शा., “किसी औरत के पास न जाए।”
शा., “उन पर टूट न पड़े।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो