नीतिवचन 18:1-24
18 खुद को दूसरों से अलग करनेवाला अपने स्वार्थ के पीछे भागता हैऔर ऐसी बुद्धि को ठुकरा देता* है, जो उसे फायदा पहुँचा सकती है।
2 मूर्ख को समझ की बातें अच्छी नहीं लगतीं,उसे तो बस अपने मन की कहना पसंद है।+
3 जहाँ दुष्ट होता है वहाँ तिरस्कार भी होता हैऔर अपमान के साथ-साथ बदनामी भी होती है।+
4 इंसान के मुँह की बातें गहरे पानी की तरह होती हैं,+
बुद्धि का सोता नदी की तरह उमड़ता रहता है।
5 दुष्ट का पक्ष लेना सही नहीं+और नेक को इंसाफ न देना गलत है।+
6 मूर्ख की बातें झगड़े पैदा करती हैं,+वह अपनी ही ज़बान की वजह से पिटता है।+
7 मूर्ख की ज़बान उसे तबाह कर डालती है,+उसके होंठ उसकी जान के लिए फंदा बन जाते हैं।
8 बदनाम करनेवाले की बातें लज़ीज़ खाने की तरह होती हैं,+जिसे निगलकर सीधे पेट में डाला जाता है।+
9 कामचोर और तबाही मचानेवाला,दोनों भाई-भाई हैं।+
10 यहोवा का नाम एक मज़बूत मीनार है,+
जिसमें भागकर नेक जन हिफाज़त पाता है।*+
11 रईस की दौलत उसके लिए किलेबंद शहर है,मन-ही-मन वह सोचता है यह शहरपनाह उसे बचाएगी।+
12 विपत्ति से पहले मन में घमंड+और आदर से पहले नम्रता होती है।+
13 जो सुनने से पहले ही जवाब देता है,वह मूर्खता का काम करता है और अपनी बेइज़्ज़ती कराता है।+
14 इंसान की हिम्मत उसे बीमारी में भी सँभाल सकती है,+लेकिन कुचले हुए मन को कौन सँभाल सकता है?+
15 समझदार अपने मन में ज्ञान की बातें भरता है+और बुद्धिमान के कान ज्ञान की बातों की ओर लगे रहते हैं।
16 तोहफा एक इंसान के लिए रास्ता खोल देता है+और उसे बड़े-बड़े लोगों के सामने ले जाता है।
17 जो मुकदमे में पहले बोलता है, उसकी बातें सही लगती हैं,+मगर जब दूसरा पक्ष सवाल-जवाब करता है, तब हकीकत सामने आती है।+
18 चिट्ठियाँ डालने से झगड़ा खत्म हो जाता है+और दो कट्टर विरोधियों के बीच फैसला किया जाता है।
19 नाराज़ भाई को मनाना, मज़बूत शहर को जीतने से कहीं ज़्यादा मुश्किल है+और झगड़े किले के बंद दरवाज़े* जैसे होते हैं।+
20 इंसान अपने मुँह की बातों से अपना पेट भरता है+और अपने होंठों की उपज से तृप्त होता है।
21 ज़िंदगी और मौत ज़बान के बस में है,+एक इंसान जैसी बातें करना पसंद करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है।+
22 जिसने अच्छी पत्नी पा ली, उसने कुछ अनमोल पा लिया+और उसे यहोवा की मंज़ूरी* मिलती है।+
23 गरीब मदद के लिए गिड़गिड़ाता है,मगर रईस उसे रुखाई से जवाब देता है।
24 ऐसे भी साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को बरबाद करने के लिए तैयार रहते हैं,+मगर ऐसा भी दोस्त होता है, जो भाई से बढ़कर वफा निभाता है।+
कई फुटनोट
^ या “को तुच्छ समझता।”
^ शा., “को ऊँचा उठाया जाता है,” यानी वह सुरक्षित है और उस तक कोई नहीं पहुँच सकता।
^ शा., “के बेड़े।”
^ या “की कृपा।”