भजन 83:1-18

आसाप+ का सुरीला गीत। 83  हे परमेश्‍वर, तू क्यों चुप है?+हे शक्‍तिशाली परमेश्‍वर, कुछ तो बोल,* कुछ कदम उठा।   देख! तेरे दुश्‍मन होहल्ला मचा रहे हैं,+तुझसे नफरत करनेवाले हेकड़ी से पेश आते हैं।*   वे धूर्त तरीके से, चोरी-छिपे तेरे लोगों के खिलाफ साज़िशें कर रहे हैं,तेरे अज़ीज़ लोगों* के खिलाफ चाल चल रहे हैं।   वे कहते हैं, “आओ, हम इस पूरे राष्ट्र को नाश कर दें+ताकि इसराएल का नाम हमेशा के लिए भुला दिया जाए।”   वे सब एकमत होकर तरकीबें बुनते हैं,*उन्होंने तेरे खिलाफ आपस में संधि की है*+   एदोम और इश्‍माएलियों के तंबू, मोआब+ और हगरी लोग,+   गबाल और अम्मोन+ और अमालेक,पलिश्‍त+ और सोर के लोग।+   अश्‍शूर+ भी उनसे मिल गया है,वे लूत के बेटों+ का साथ देते हैं। (सेला )   तू उनका वही हश्र कर जो तूने मिद्यान का किया था,+कीशोन नदी* के पास सीसरा और याबीन का किया था।+ 10  उन्हें एन्दोर में नाश कर दिया गया था,+वे ज़मीन की खाद बन गए थे। 11  उनके रुतबेदार लोगों का वही हाल कर जो ओरेब और ज़ाएब का हुआ था,+उनके हाकिमों* के साथ वही कर जो जेबह और सलमुन्‍ना के साथ हुआ था,+ 12  क्योंकि उन्होंने कहा है, “चलो, हम उस देश पर कब्ज़ा कर लें जहाँ परमेश्‍वर निवास करता है।” 13  हे मेरे परमेश्‍वर, उन्हें उखड़े हुए पौधे जैसा कर दे जो यहाँ-वहाँ उड़ाया जाता है,+सूखी घास जैसा कर दे जिसे हवा इधर से उधर उड़ाती है। 14  जैसे आग जंगल को भस्म कर देती है,शोला पहाड़ों को जला देता है,+ 15  वैसे ही तू तेज़ आँधी चलाकर उनका पीछा कर,+तूफान लाकर उनमें खौफ फैला दे।+ 16  उनका मुँह अपमान से ढाँप देताकि हे यहोवा, वे तेरे नाम की खोज करें। 17  वे हमेशा के लिए शर्मिंदा किए जाएँ और खौफ में रहें,वे बेइज़्ज़त किए जाएँ और नाश हो जाएँ, 18  लोग जानें कि सिर्फ तू जिसका नाम यहोवा है,+सारी धरती के ऊपर परम-प्रधान है।+

कई फुटनोट

या “मौन मत रह।”
या “सिर उठाते हैं।”
शा., “छिपाए गए लोगों।”
शा., “वे एक मन होकर सलाह-मशविरा करते हैं।”
या “करार किया है।”
या “घाटी।”
या “अगुवों।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो