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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

मत्ती की किताब पर एक नज़र

  • लेखक: मत्ती

  • लिखने की जगह: इसराएल

  • लिखना पूरा हुआ: क. ई. 41

  • कितने समय का ब्यौरा: ई.पू. 2–ई. 33

गौर करनेवाली खास बातें:

  • मत्ती ने अपने नाम की खुशखबरी की किताब यीशु की मौत के ठीक आठ साल बाद लिखी। सबूत दिखाते हैं कि उसने यह किताब पहले इब्रानी भाषा में लिखी और फिर शायद उसी ने इसका यूनानी भाषा में अनुवाद किया।

  • अनुमान लगाया गया है कि मत्ती की किताब में सैकड़ों बार इब्रानी शास्त्र की बातों का ज़िक्र किया गया है, जिनमें से करीब 40 बार इब्रानी शास्त्र से सीधे-सीधे उद्धरण दिए गए हैं।

  • मत्ती ने जब यीशु की ज़िंदगी के बारे में लिखा तो शायद उसके मन में यहूदी लोग थे।

  • चेला बनने से पहले मत्ती कर-वसूली का काम करता था, शायद इसीलिए उसने पैसों, संख्याओं और चीज़ों की कीमत के बारे में खुलकर लिखा। (17:27; 26:15; 27:3)

  • सिर्फ मत्ती ने यह बात लिखी कि यीशु ने बार-बार ज़ोर दिया कि बलिदान चढ़ाने के साथ-साथ लोगों पर दया करना ज़रूरी है। (9:9-13; 12:7; 18:21-35)

  • उसने 50 से भी ज़्यादा बार “राज” शब्द इस्तेमाल किया।

  • मत्ती ने पहले 18 अध्यायों में मुख्य विषय परमेश्‍वर के राज पर ज़ोर दिया, इसलिए इसी के मुताबिक उसने घटनाओं का ज़िक्र किया जो क्रम में नहीं हैं। लेकिन आखिरी 10 अध्यायों (19 से 28) में आम तौर पर उसने घटनाएँ उसी क्रम में लिखीं जिसमें वे घटी थीं।

  • इस किताब की करीब 40 प्रतिशत जानकारी खुशखबरी की दूसरी किताबों में नहीं मिलती। जैसे, इसमें बतायीं कम-से-कम 10 मिसालें: खेत में जंगली पौधे (13:24-30), छिपा खज़ाना (13:44), बेशकीमती मोती (13:45, 46), बड़ा जाल (13:47-50), निर्दयी दास (18:23-35), मज़दूर और उन्हें मिलनेवाला दीनार (20:1-16), पिता और उसके दो बेटे (21:28-32), राजा के बेटे की शादी (22:1-14), दस कुँवारियाँ (25:1-13) और तोड़े (25:14-30)।