इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

मैं अपनी प्रार्थना कैसे सुधारूँ?

मैं अपनी प्रार्थना कैसे सुधारूँ?

नौजवान पूछते हैं

मैं अपनी प्रार्थना कैसे सुधारूँ?

“परिवार में, दोस्तों के साथ, स्कूल में या काम की जगह पर हम पर बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, जिन्हें निभाने के चक्कर में कभी-कभी हम भूल जाते हैं कि परमेश्‍वर हमारी ज़िंदगी में सबसे अहम है।”—15 साल की फाविओला, अमरीका।

“निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:17) “प्रार्थना में नित्य लगे रहो।” (रोमियों 12:12) “तुम्हारे निवेदन . . . परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं।” (फिलिप्पियों 4:6) अगर आप एक मसीही हैं, तो आप इन आयतों को बखूबी जानते होंगे। आपको शायद यह भी मालूम होगा कि प्रार्थना, परमेश्‍वर से बातचीत करने का सबसे बेहतरीन ज़रिया है। ज़रा सोचिए, चाहे दिन हो या रात, आप कभी-भी सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर से बात कर सकते हैं! और बाइबल कहती है, कि “वह हमारी सुनता है।” *1 यूहन्‍ना 5:14.

इसके बावजूद, हो सकता है कि आपके लिए प्रार्थना करना मुश्‍किल हो, ठीक जैसे इस लेख की शुरूआत में फाविओला ने बताया। अगर ऐसी बात है तो आप क्या कर सकते हैं? यह लेख आपकी मदद करेगा। यह आपको (1) प्रार्थना में आनेवाली समस्याओं को पहचानने, (2) प्रार्थना के मामले में एक लक्ष्य रखने और (3) ऐसी चाबी पाने में मदद देगा, जिससे आप अपने लक्ष्य को पा सकें।

सबसे पहले आइए हम प्रार्थना में आनेवाली समस्याओं को पहचानें। ऐसी कौन-सी बात है, जिसकी वजह से आप प्रार्थना नहीं कर पाते? नीचे अपना जवाब लिखिए।

.....

आपका अगला कदम होगा, प्रार्थना के मामले में एक लक्ष्य रखना। नीचे कुछ लक्ष्य दिए गए हैं। निशान लगाइए कि आप किस लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं। या आपका कोई और लक्ष्य है, तो आप खाली जगह में लिख सकते हैं।

❑ मैं दिन में कई बार प्रार्थना करना चाहता हूँ।

❑ मैं अपनी प्रार्थनाएँ निखारना चाहता हूँ।

❑ मैं अपनी भावनाएँ और खुलकर ज़ाहिर करना चाहता हूँ।

❑ दूसरे लक्ष्य

ताला खोलना

प्रार्थना एक बंद दरवाज़े की तरह है, जिसे किसी भी वक्‍त खोला जा सकता है। लेकिन कई नौजवानों का कहना है कि इस दरवाज़े को उतनी बार नहीं खोला जाता, जितनी बार उसे खोलना चाहिए। अगर आप भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो हिम्मत मत हारिए! आप समझ गए हैं कि असल समस्या क्या है और उसे दूर करने का आपने लक्ष्य भी रखा है। अब बस आपको समस्या से निपटना है। प्रार्थना के मामले में, ये समस्याएँ दरअसल दरवाज़े पर लगे ताले की तरह हैं, जिसे खोलने के लिए हमें सिर्फ चाबी की ज़रूरत है। अब आइए देखें कि कौन-सा ताला, कौन-सी चाबी से खुलेगा।

ताला: नज़रअंदाज़ करना। “कभी-कभी इतने काम होते हैं कि प्रार्थना करने के लिए मुझे समय नहीं मिलता।”—20 साल की प्रीती, ब्रिटेन।

चाबी: “ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझो [‘समय मोल लो,’ NW], क्योंकि दिन बुरे हैं।”—इफिसियों 5:15,16.

सुझाव: पहले से सोचिए कि प्रार्थना करने के लिए कौन-सा समय सबसे अच्छा होगा। और हो सके तो उसे कहीं नोट करके रख लीजिए, ठीक वैसे ही जैसे आप किसी से मिलने का समय लिखकर रखते हैं। जापान में रहनेवाली 18 साल की योशिका कहती है, “मुझे याद से प्रार्थना के लिए समय निकालना पड़ता है, वरना फिर मैं दूसरे कामों में लग जाती हूँ और मुझे प्रार्थना के लिए वक्‍त ही नहीं मिलता।

ताला: ध्यान भटकना। “मैं प्रार्थना शुरू करती हूँ कि मन इधर-उधर भटकने लगता है। दुनिया-जहाँ की बातें दिमाग में घूमने लगती हैं। मुझे इसकी खबर ही नहीं रहती कि मैं प्रार्थना में क्या बोले जा रही हूँ।”—17 साल की पमेला, मेक्सिको।

चाबी: “जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है।”—मत्ती 12:34.

सुझाव: अगर प्रार्थना करते वक्‍त आपका ध्यान भटकने लगता है, तो कोशिश कीजिए कि आप छोटी प्रार्थना करें, जब तक कि आप इस कमज़ोरी पर काबू न पा लें। दूसरी तरकीब यह है कि उन बातों के बारे में प्रार्थना कीजिए, जिनकी आपको सबसे ज़्यादा फिक्र रहती है। रूस में रहनेवाली 14 साल की मरिना कहती है, “जब मैं तेरह साल की हुई तो मैं इस बात पर गहराई से सोचने लगी कि प्रार्थना असल में परमेश्‍वर के साथ सीधी-सीधी बातचीत है। इसी एहसास की वजह से मैं दिल खोलकर प्रार्थना करने लगी।”

ताला: एक ढर्रा बन जाना। “मैंने गौर किया है कि मैं प्रार्थना में हर रोज़ एक ही बात दोहराती हूँ।”—17 साल की डूप, बेनिन।

चाबी: “मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा।”—भजन 77:12.

सुझाव: अगर आपको लगता है कि आप प्रार्थना में एक ही बात बार-बार दोहराते रहते हैं तो यह तरीका आज़माइए। याद से हर दिन लिखिए कि किस खास तरीके से यहोवा ने मुझे आशीष दी। फिर उसके लिए यहोवा को धन्यवाद दीजिए। ऐसा एक हफ्ते तक कीजिए और आप देखेंगे कि एक भी बात दोहराए बिना आपने हर दिन नए-नए विषयों पर यहोवा से बात की है। इसी तरह रोज़ाना किसी खास विषय को ध्यान में रखकर यहोवा से प्रार्थना कीजिए। ब्राज़ील में रहनेवाला 21 साल का ब्रुनो कहता है, “मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि मैं उन बातों के बारे में प्रार्थना करूँ, जो दिन में मेरे साथ घटती हैं।” अमरीका में रहनेवाली 18 साल की समंथा भी ऐसा करती है। वह कहती है, “मैं याद करने की कोशिश करती हूँ कि आज मेरे साथ क्या अलग हुआ। फिर उसी के बारे में प्रार्थना करती हूँ। और इस तरह मैं प्रार्थनाओं में तोते जैसी रटी-रटाई बातें नहीं करती।” *

ताला: शक। “एक बार स्कूल में मुझे किसी परेशानी का सामना करना पड़ा। उस बारे में मैंने यहोवा से प्रार्थना की कि वह दूर हो जाए। मगर वह दूर नहीं हुई बल्कि मैं और भी परेशानियों से घिर गयी। मैंने सोचा “प्रार्थना करने से क्या फायदा? यहोवा तो मेरी सुनता ही नहीं!”—15 साल की मिनोरी, जापान।

चाबी: “[यहोवा परमेश्‍वर] परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।”—1 कुरिन्थियों 10:13.

सुझाव: एक बात तो पक्की है: यहोवा ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है। (भजन 65:2) इसलिए किसी बात के लिए प्रार्थना करने के बाद, अपने हालात पर एक बार फिर गौर कीजिए और उन्हें समझने की कोशिश कीजिए। अपने मन मुताबिक यहोवा से जवाब पाने का इंतज़ार मत कीजिए। इसके बजाय, यह समझने की कोशिश कीजिए कि यहोवा ने कैसे आपकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया है। आप धीरज के साथ मसीही के तौर पर ज़िंदगी जी रहे हैं, यही बात अपने आपमें दिखाती है कि यहोवा ने आपकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया है। भले ही आपकी समस्या दूर नहीं हुई, मगर उसने उसे सहने की शक्‍ति दी है।—फिलिप्पियों 4:13.

ताला: शर्म। “मुझे इस खयाल से ही शर्म आती है कि खाने से पहले प्रार्थना करते हुए अगर क्लास के बच्चों ने मुझे देख लिया, तो वे न जाने मेरे बारे में क्या सोचेंगे।”—17 साल का हिकारू, जापान।

चाबी: “हर एक बात का एक अवसर . . . होता है।”—सभोपदेशक 3:1.

सुझाव: जब हम प्रार्थना करते हैं, तो देखनेवाले पर कभी-कभी इसका बढ़िया असर होता है। लेकिन आपका इस तरह प्रार्थना करना ज़रूरी नहीं कि सभी आपको देखने लगें। उदाहरण के लिए अर्तक्षत्र राजा के सामने वफादार नहेमायाह ने छोटी-सी प्रार्थना की। बाइबल में इसका कोई रिकॉर्ड नहीं कि राजा को इसकी भनक भी पड़ी। इससे ज़ाहिर होता है कि नहेमायाह ने प्रार्थना मन-ही-मन की होगी। (नहेमायाह 2:1-5) तो आप भी अपनी तरफ बिना किसी का ध्यान खिंचे प्रार्थना कर सकते हैं।—फिलिप्पियों 4:5.

ताला: खुद को तुच्छ समझना। “यहोवा मेरी समस्या अच्छी तरह जानता है। अगर मैं अपनी समस्या से जूझते-जूझते थक चुकी हूँ तो शायद वह भी थक चुका होगा! मुझे कभी-कभी बस यही लगता है कि मैं उससे प्रार्थना करने के लायक नहीं।”—20 साल की एलिज़बेथ, आयरलैंड।

चाबी: “अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।”—1 पतरस 5:7.

सुझाव: अध्ययन के लिए समय निकालिए और आगे दी आयतों पर खोजबीन करके मनन कीजिए: लूका 12:6,7; यूहन्‍ना 6:44; इब्रानियों 4:16; 6:10; 2 पतरस 3:9. इन आयतों से आप यह समझ पाएँगे कि यहोवा आपकी सुनना चाहता है। और आपकी सुनने के लिए वह यह माँग नहीं करता कि आप एक बेहतरीन और कामयाब मसीही हों। भजनहार दाऊद ने ज़िंदगी में दुख-दर्द और मुश्‍किलें झेली थीं। उसने पूरे विश्‍वास से कहा कि “यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।” *भजन 34:18.

यह हकीकत कि यहोवा खुद आपकी प्रार्थनाएँ सुनता है, ज़ाहिर करता है कि उसे आपमें दिलचस्पी है। इटली में रहनेवाली 17 साल की निकोल कहती है, “यहोवा ने प्रार्थना सुनने की ज़िम्मेदारी स्वर्गदूतों को नहीं सौंपी है, तो इससे साफ है कि वह हमारी प्रार्थनाओं को बहुत अहम समझता है। नहीं तो वह खुद हमारी प्रार्थनाओं को क्यों सुनता?” (g 11/08)

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं।

[फुटनोट]

^ हम इंसान ध्वनी तंरगों की मदद से एक-दूसरे की आवाज़ सुनते हैं, लेकिन यहोवा को इसकी ज़रूरत नहीं। अगर हम अपनी भावनाओं को शब्दों में ज़ाहिर न भी करें, तब भी वह ‘सुन’ लेता है।—भजन 19:14.

^ इस अंक के पेज 10 पर दिया लेख, “बाइबल क्या कहती है? चीज़ों के ज़रिए उपासना करना—परमेश्‍वर का क्या नज़रिया है?” देखिए।

^ अगर आपको लगता है कि गंभीर पाप करने की वजह से आपकी प्रार्थनाएँ नहीं सुनी जा रहीं, तो बिना झिझके अपने मम्मी-पापा से बात कीजिए। “कलीसिया के प्राचीनों को [मदद के लिए] बुला[इ]ए।” (याकूब 5:14) प्राचीन यहोवा के साथ आपके रिश्‍ते को दोबारा जोड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं।

इस बारे में सोचिए

◼ ऐसी कुछ बातें क्या हैं जो यहोवा के लिए मायने रखती हैं और जिनके बारे में आप प्रार्थना कर सकते हैं?

◼ दूसरों से ताल्लुक रखनेवाली ऐसी कौन-सी बातें हैं जिनके बारे में आप यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं?

[पेज 26 पर बक्स/तसवीरें]

आपके हमउम्र क्या कहते हैं

“प्रार्थना एक किताब की तरह है जिसे सिर्फ आप और यहोवा पढ़ सकते हैं।”—ओलायिन्का, नाइजीरिया।

“कल्पना कीजिए कि आपका जिगरी दोस्त, जिसने आपको बहुत-से तोहफे दिए हैं, अचानक आपसे बात करना बंद कर दे, तो आपको कैसा लगेगा? उसी तरह, सोचिए अगर आप यहोवा से बात करना बंद कर दें तो उसे कैसा लगेगा?”—चिंता, ऑस्ट्रेलिया।

“मुझे हमेशा यही लगता था कि अपनी भावनाओं को खुलकर बताना गलत है। मगर यहोवा खुद चाहता है कि हम उससे प्रार्थना करें, इस सच्चाई को समझने की वजह से मैं उसे अपने सुख-दुख, अपनी उलझनें और जज़बात बिना किसी झिझक के बता पाती हूँ। अब मैंने बेहतर तरीके से अपनी भावनाओं पर काबू पाना सीख लिया है।”—अंबर, अमरीका।

[पेज 27 पर तसवीर]

अगर प्रार्थना के दरवाज़े पर ताला लगा है, तो परमेश्‍वर के वचन, बाइबल में दी चाबियों से उसे खोलिए