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नौजवानों के सवाल

मैं निराशा का सामना कैसे करूँ?

मैं निराशा का सामना कैसे करूँ?

 निराशा (डिप्रेशन) का सामना करने के लिए अगर आप कुछ अच्छी तरकीबें अपनाएँ तो आप अच्छा महसूस कर सकते हैं!

 आप क्या करेंगे?

 ज़रा इन हालात के बारे में सोचिए:

 जैनिफर की मुस्कान कहीं खो गयी है। वह बस हर दिन बिना वजह रोती रहती है। वह सब लोगों से कटी-कटी रहती है। उसकी भूख मर-सी गयी है। वह न तो रात को ठीक से सो पाती है, न ही किसी बात पर ध्यान दे पाती है। वह मन-ही-मन सोचती है, ‘यह मुझे क्या हो रहा है? क्या मैं फिर कभी पहले जैसी खुश रह पाऊँगी?’

 मार्क एक होनहार विद्यार्थी हुआ करता था। मगर अब उसे स्कूल से नफरत-सी हो गयी है। वह पढ़ाई में बहुत कमज़ोर हो गया है। पहले उसे खेलकूद में हिस्सा लेना बहुत अच्छा लगता था, मगर अब वह बेजान-सा हो गया है। उसके दोस्तों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उसे क्या हो गया है। उसके माता-पिता को उसकी चिंता लगी रहती हैं: ‘क्या यह बदलाव कुछ समय का है या उसे कुछ हो गया है?’

 क्या आप अकसर जैनिफर या मार्क की तरह महसूस करते हैं? अगर हाँ, तो आप क्या कर सकते हैं? आपके सामने दो रास्ते हैं।

  1.   आप खुद-ब-खुद इससे बाहर आने की कोशिश कर सकते हैं

  2.   आप किसी बड़ी उम्रवाले व्यक्‍ति से बात कर सकते हैं जिस पर आपको भरोसा है

 शायद पहला रास्ता अपनाने का आपका मन करे, खासकर तब जब आप अपने हालात के बारे में किसी से बात करना नहीं चाहते। मगर क्या यह समझदारी होगी? बाइबल बताती है, “एक से भले दो हैं क्योंकि . . . अगर उनमें से एक गिर जाए, तो उसका साथी उसे उठा लेगा। लेकिन जो अकेला है उसे गिरने पर कौन उठाएगा?”—सभोपदेशक 4:9, 10.

 एक उदाहरण लीजिए: आप एक ऐसे इलाके में खो गए हैं जहाँ बहुत जुर्म होते हैं। रात होती जा रही है और आपके साथ कुछ भी हो सकता है। ऐसे में आप क्या करेंगे? आप चाहे तो खुद-ब-खुद उस इलाके से बाहर निकलने की कोशिश कर सकते हैं। मगर क्या आपके लिए समझदारी नहीं होगी कि आप किसी ऐसे व्यक्‍ति को मदद के लिए बुलाएँ जिस पर आपको भरोसा है?

 निराशा से गुज़रना, ऐसे खतरनाक इलाके में खो जाने जैसा है। यह सच है कि कभी-कभी निराशा की भावना कुछ वक्‍त के लिए आपको आ घेरती है और थोड़े समय बाद चली जाती है। लेकिन अगर निराशा आप पर लंबे समय तक हावी है तो ऐसे में मदद माँगना बेहतर होगा।

 बाइबल का सिद्धांत: “खुद को दूसरों से अलग करनेवाला . . . ऐसी बुद्धि को ठुकरा देता है, जो उसे फायदा पहुँचा सकती है।”—नीतिवचन 18:1.

 दूसरा रास्ता अपनाना ज़्यादा फायदेमंद हो सकता है। आप अपनी मम्मी या अपने पापा से, या उम्र में बड़े किसी ऐसे व्यक्‍ति से बात कर सकते हैं जिस पर आपको भरोसा है। वे कभी-न-कभी बुरी भावना से गुज़रे होंगे और उस पर काबू पाया होगा। इसलिए उनके तजुरबे से आप काफी कुछ सीख सकते हैं।

 मगर आप शायद कहें: ‘मेरे मम्मी-पापा नहीं समझेंगे कि मुझ पर क्या बीत रही है!’ क्या आपको पक्का यकीन है कि वे नहीं समझेंगे? माना कि जब वे आपकी उम्र के थे तब के हालात और आज के हालात में फर्क हैं, मगर यह ज़रूरी नहीं कि उनकी भावनाएँ आपकी भावनाओं से अलग हों। और क्या पता, शायद आपकी समस्या का हल उनके पास हो!

 बाइबल का सिद्धांत: “क्या बुद्धि, बड़े-बूढ़ों में नहीं पायी जाती? क्या समझ उनमें नहीं होती जिन्होंने लंबी उम्र देखी है?”—अय्यूब 12:12.

 ज़रूरी बात: अगर आप मम्मी, पापा या किसी ऐसे बड़े व्यक्‍ति से बात करें जिस पर आपको भरोसा है, तो वे आपको बढ़िया सलाह देकर आपकी मदद कर सकते हैं।

गहरी निराशा से गुज़रना, खतरनाक इलाके में खो जाने जैसा है। इससे बाहर निकलने के लिए दूसरों की मदद लीजिए

 अगर आपको गहरी निराशा है तो आप क्या कर सकते हैं?

 अगर आप हर दिन निराश रहते हैं तो आपको शायद गहरी निराशा (या क्लिनिकल डिप्रेशन) की बीमारी हो गयी है। इसके लिए आपको इलाज की ज़रूरत है।

 किशोरावस्था में बच्चों पर अकसर कुछ वक्‍त के लिए मायूसी छा जाती है। इसलिए कई नौजवान जब गहरी निराशा के शिकार होते हैं तो उन्हें इस बात का पता नहीं रहता, क्योंकि मायूसी और गहरी निराशा के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि गहरी निराशा के लक्षण और भी ज़बरदस्त होते हैं और लंबे समय तक रहते हैं। इसलिए अगर आप लंबे समय तक उदासी में डूबे रहते हैं तो क्यों न आप अपने मम्मी-पापा से बात करें कि वे आपको किसी डॉक्टर को दिखाएँ?

 बाइबल का सिद्धांत: “जो भले-चंगे हैं उन्हें वैद्य की ज़रूरत नहीं होती, मगर बीमारों को होती है।”—मत्ती 9:12.

 अगर डॉक्टरी जाँच के बाद आपको बताया जाता है कि आपको गहरी निराशा है तो शर्मिंदा महसूस मत कीजिए। आजकल जवान लोगों में यह एक आम बीमारी हो गयी है और इसका इलाज है! आपकी बीमारी के बारे में जानने के बाद आपके सच्चे दोस्त आपको नीचा नहीं देखेंगे।

 इसे आज़माइए: सब्र रखिए। गहरी निराशा से उबरने में वक्‍त लगता है। याद रखिए कि कुछ दिन आप अच्छा महसूस करेंगे तो कुछ दिन ऐसे होंगे जब आपको कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा। a

 निराशा से उबरने की तरकीबें

 चाहे आपको इलाज की ज़रूरत हो या न हो, आप लंबे समय तक रहनेवाली उदासी का सामना करने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं। जैसे, नियमित तौर पर कसरत कीजिए, पौष्टिक खाना खाइए और भरपूर नींद लीजिए। इससे आप अपनी भावनाओं पर काबू पा सकेंगे। (सभोपदेशक 4:6; 1 तीमुथियुस 4:8) एक डायरी रखना भी मददगार साबित हो सकता है। उसमें आप लिख सकते हैं कि आपके अंदर कैसी भावनाएँ उठ रही हैं, निराशा का सामना करने के लिए आपने क्या लक्ष्य रखे हैं, कब आप निराशा का सामना करने से चूक गए हैं और कब आप कामयाब रहे हैं।

 चाहे आप गहरी निराशा से जूझ रहे हों या ऐसे दौर से गुज़र रहे हों जिसमें अपनी भावनाओं पर काबू पाना आपको मुश्‍किल लग रहा है, यह बात हमेशा याद रखिए: अगर आप दूसरों की मदद लें और खुद भी कुछ कदम उठाएँ तो आप निराशा का सामना कर सकते हैं।

 बाइबल की आयतें जिनसे आपको मदद मिल सकती है

  •  “यहोवा टूटे मनवालों के करीब रहता है, वह उन्हें बचाता है जिनका मन कुचला हुआ है।”—भजन 34:18.

  •  “अपना सारा बोझ यहोवा पर डाल दे, वह तुझे सँभालेगा। वह नेक जन को कभी गिरने नहीं देगा।”—भजन 55:22.

  •  “मैं तेरा परमेश्‍वर यहोवा, तेरा दायाँ हाथ थामे हुए हूँ, मैं तुझसे कहता हूँ, ‘मत डर, मैं तेरी मदद करूँगा।’”—यशायाह 41:13.

  •  “अगले दिन की चिंता कभी न करना।”—मत्ती 6:34.

  •  “हर बात के बारे में प्रार्थना और मिन्‍नतों और धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर से बिनतियाँ करो। तब परमेश्‍वर की वह शांति जो समझ से परे है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल की . . . हिफाज़त करेगी।”—फिलिप्पियों 4:6, 7.

a अगर आपने कई बार अपनी जान लेने की सोची है तो फौरन किसी ऐसे बड़े व्यक्‍ति से बात कीजिए जिस पर आपको भरोसा है। ज़्यादा जानने के लिए जुलाई-सितंबर 2014 की सजग होइए!  देखें जिसमें चार भागोंवाला यह श्रृंखला लेख दिया गया है: “आखिर किस लिए जीऊँ?