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कहानी 12

पौलुस का भाँजा बहादुर था

पौलुस का भाँजा बहादुर था

आइए हम एक जवान आदमी के बारे में सीखें, जिसने अपने मामा की जान बचायी थी। हम इस जवान आदमी का नाम तो नहीं जानते, लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि वह प्रेषित पौलुस का भाँजा था और उसने बहुत बहादुरी का काम किया था। क्या आप जानना चाहते हैं उसने क्या किया था?—

उसका मामा पौलुस यरूशलेम में जेल में था। पौलुस यीशु के बारे में प्रचार कर रहा था, इसलिए उसे जेल में डाल दिया गया था। कुछ बुरे लोगों को पौलुस पसंद नहीं था, इसलिए उन्होंने पौलुस को जान से मारने की सोची। उन्होंने आपस में कहा: ‘चलो सेनापति से कहें कि वह अपने सैनिकों को भेजकर पौलुस को अदालत में ले आए। हम रास्ते में छिप जाएँगे और जब पौलुस वहाँ से जाएगा, तो हम उसे मार डालेंगे!’

पौलुस के भाँजे ने पौलुस और सेनापति को बताया कि बुरे लोग क्या करने की सोच रहे थे

पौलुस के भाँजे को यह बात पता चल गयी। तब उसने क्या किया? वह जेल में पौलुस के पास गया और उसे सब कुछ बता दिया। पौलुस ने उसी वक्‍त अपने भाँजे से कहा कि वह सेनापति को जाकर इस बारे में बताए। क्या आपको लगता है कि पौलुस के भाँजे के लिए यह आसान काम था कि वह सेनापति से जाकर बात करे?— नहीं। क्यों? क्योंकि सेनापति एक बहुत बड़ी सेना पर हुक्म चलानेवाला आदमी था। मगर पौलुस का भाँजा बहादुर था। इसलिए वह सेनापति से जाकर बात कर पाया।

सेनापति जानता था कि उसे क्या करना है। उसने पौलुस को बचाने के लिए करीब 500 सैनिकों को इकट्ठा किया! सेनापति ने उनसे कहा कि वे उसी रात पौलुस को कैसरिया शहर ले जाएँ। क्या इससे पौलुस की जान बच गयी?— जी हाँ, बुरे लोग पौलुस को नहीं मार पाए!

आप इस कहानी से क्या सीख सकते हैं?— आप भी पौलुस के भाँजे की तरह बहादुर बन सकते हैं। जब हम दूसरों को यहोवा के बारे में बताते हैं, तो हमें किसी से डरना नहीं चाहिए। क्या आप बहादुर बनेंगे और हमेशा दूसरों को यहोवा के बारे में बताते रहेंगे?— अगर आप ऐसा करेंगे, तो हो सकता है आप भी किसी की जान बचा पाएँ।