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कहानी 10

यीशु ने हमेशा कहना माना

यीशु ने हमेशा कहना माना

क्या कभी-कभी आपको मम्मी-पापा का कहा मानना मुश्किल लगता है?— कभी-कभी मुश्किल लगता है, है ना? लेकिन यीशु से आप सीख सकते हैं कि जब आपको उनका कहा मानना मुश्किल लगता है, तब भी आप उनकी बात मान सकते हैं। आइए यीशु के बारे में और सीखें।

धरती पर आने से पहले, यीशु अपने पिता यहोवा के साथ स्वर्ग में रहता था। मगर धरती पर भी यीशु के मम्मी-पापा थे। क्या आपको पता है कि यीशु यहोवा और अपने मम्मी-पापा का कहना मानता था?— धरती पर उसके पापा का नाम यूसुफ था और उसकी मम्मी का नाम मरियम था। क्या आप जानते हैं कि वे यीशु के मम्मी-पापा कैसे बने?—

यहोवा ने चमत्कार करके यीशु की जान स्वर्ग से धरती पर मरियम के पेट में डाल दी, ताकि यीशु धरती पर पैदा हो सके। यीशु मरियम के पेट में बढ़ने लगा, ठीक जैसे दूसरे बच्चे अपनी मम्मी के पेट में बढ़ते हैं। करीब 9 महीने बाद, यीशु पैदा हुआ। इस तरह मरियम और उसका पति यूसुफ, धरती पर यीशु के मम्मी-पापा बने।

जब यीशु सिर्फ 12 साल का था, तभी से उसने दिखाया कि वह अपने पिता, यहोवा से कितना प्यार करता था। कैसे? एक बार यीशु और उसका परिवार फसह का त्योहार मनाने के लिए अपने घर से बहुत दूर, यरूशलेम गए थे। त्योहार मनाने के बाद, जब वे वापस घर जा रहे थे, तो यूसुफ और मरियम को यीशु कहीं पर भी दिखायी नहीं दिया। क्या आपको पता है यीशु कहाँ था?— आइए देखें।

यीशु मंदिर में क्यों था?

यूसुफ और मरियम, यीशु को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते फौरन यरूशलेम वापस गए। उन्होंने वहाँ हर जगह यीशु को ढूँढ़ा, मगर वह कहीं नहीं मिला। इसलिए वे बहुत चिंता करने लगे। लेकिन तीन दिन बाद, यीशु उन्हें मंदिर में मिला! क्या आप जानते हैं कि यीशु मंदिर में क्यों था?— क्योंकि मंदिर में वह अपने पिता, यहोवा के बारे में सीख सकता था। यीशु यहोवा से बहुत प्यार करता था और वह जानना चाहता था कि वह अच्छे काम कैसे कर सकता है, जिससे यहोवा को खुशी हो। जब यीशु बड़ा हो गया, तब भी उसने हमेशा यहोवा का कहना माना। यीशु ने यहोवा का कहना उस वक्‍त भी माना, जब ऐसा करना उसके लिए मुश्किल था। और तब भी, जब उसे पता था कि ऐसा करने से उसे दुख उठाना पड़ेगा। क्या यीशु ने अपने मम्मी-पापा का भी कहना माना?— बाइबल कहती है कि उसने हमेशा उनका कहना माना।

आप यीशु से क्या सीख सकते हैं?— आपको अपने मम्मी-पापा की बात माननी चाहिए, तब भी जब आपको यह मुश्किल लगता है। क्या आप उनकी बात मानेंगे?—